शहाबुद्दीन ने जेठमलानी, सिब्बल से सम्पर्क साधा
Last Updated 21 Sep 2016 06:50:22 PM IST
मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत रद्द होने से बचाने के लिए देश के तीन नामी-गिरामी वकीलों से सम्पर्क साधा है, जिनमें दो पूर्व कानून मंत्री शामिल हैं.
मोहम्मद शहाबुद्दीन |
विश्वस्त सूत्रों ने नई दिल्ली में बताया कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद एवं कम से कम 60 आपराधिक मामलों के आरोपी मोहम्मद शहाबुद्दीन ने आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ वकील एवं पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी से पैरवी करने का अनुरोध किया है. इसके अलावा उसने पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल एवं पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमरेन्द्र शरण से भी सम्पर्क साधा है.
सूत्रों के अनुसार, जेठमलानी के पैरवी करने के आसार सर्वाधिक हैं, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय रहे अनेक आपराधिक मामलों में उन्होंने कुख्यात आरोपियों की ओर से बहस की है. इतना ही नहीं वह राजद से राज्यसभा सांसद भी हैं.
जहां तक सिब्बल का सवाल है तो ऐसी उम्मीद की जा रही है कि वह पार्टी लाइन से हटकर शहाबुद्दीन की पैरवी नहीं करेंगे. बिहार में महागठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस ने शहाबुद्दीन की जमानत पर रिहाई को लेकर चिंता जतायी थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील करने की सलाह भी दी थी.
शरण संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहे हैं और इस दौरान उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच से जुड़े कई महत्वपूर्ण मामलों में पैरवी की थी.
गौरतलब है कि शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहा किये जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू तथा बिहार सरकार की ओर से याचिकाएं दायर की गयी हैं, जिसकी सुनवाई के दौरान गत सोमवार (19 सितम्बर) को न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने पूर्व सांसद को नोटिस जारी करके पूछा है कि क्यों न उनकी जमानत रद्द कर दी जाये.
चंदा बाबू के तीनों बेटे शहाबुद्दीन के आतंक के शिकार हुए हैं. ऐसा कहा जाता है कि शहाबुद्दीन ने चंदा बाबू के तीनों बेटों को अगवा कराया था और उनमें से दो की हत्या करके तेजाब में डाल दिया था, जबकि तीसरे बेटे को यह सब देखने को मजबूर किया था. बाद में इस इकलौते चश्मदीद को भी गवाही देने जाते वक्त मौत के घाट उतार दिया गया. शहाबुद्दीन को इसी चश्मदीद गवाह की हत्या के मामले में जमानत मंजूर की गयी है, जबकि अन्य दोनों भाइयों की हत्या के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा हुई है.
चंदा बाबू की ओर से जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने जोरदार दलील दी थी, जबकि बिहार सरकार का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सिंह ने रखा था.
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