बिहार में डॉक्टरों की एक दिन की हड़ताल से मरीज बेहाल
बिहार में डॉक्टरों और चिकित्सकीय संस्थानों पर हो रहे हमले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन,और बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के आह्वान पर पूरे राज्य के चिकित्सक शनिवार को सांकेतिक हड़ताल पर रहे.
हड़ताल के कारण अस्पताल से बाहर इलाज के लिए मरीज को ले जाते परिजन. |
डॉक्टरों की हड़ताल के कारण प्रदेश भर में ओपीडी सेवा ठप हो गई, लेकिन अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा को बहाल रखा गया. हड़ताल के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण ओपीडी में इलाज के लिए सुदुरवर्ती और ग्रामीण इलाकों से आये मरीजों तथा उनके परिजनों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना परना पड़ा.
डॉक्टरों ने सिर्फ इमरजेंसी में आये मरीजों को ही देखा. राजधानी में पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच), नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच), न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल समेत कई अन्य अस्पतालों में हड़ताल का खासा असर देखने को मिला.
आईएमए की बिहार इकाई के सचिव डॉ. हरिहर दीक्षित ने दावा किया कि चिकित्सकों का सांकेतिक कार्य बहिष्कार पूरे राज्य में शत प्रतिशत सफल रहा. उन्होंने इसके लिए सभी निजी और सरकारी सेवा से जुड़े चिकित्सकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में डाक्टरों और चिकित्सकीय संस्थानों पर लगातार हमले हो रहे हैं और डॉक्टरों से रंगदारी मांगी जा रही है. रंगदारी नहीं देने उन्हें गोली मार दी जाती है.
श्री दीक्षित ने कहा कि मोतिहारी के संग्रामपुर के डॉ. एसबी सिंह को पहले धमकी दी गई और उसके बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. राज्य में अपराधियों का मनोबल दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और पूरा डॉक्टर समाज भयभीत है. आईएमए बिहार के सचिव ने कहा कि इस सांकेतिक हड़ताल का मकसद सरकार और प्रशासन को यह दिखाना है कि चिकित्सकीय संस्थानों पर हो रहे हमले और रंगदारी की मांग से डॉक्टर समाज आहत हैं.
उन्होंने कहा कि डॉक्टर चाहते हैं कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा ठीक से चले और जनता को किसी तरह की कठिनाई न हो, इसी उद्देश्य से इमरजेंसी सेवा को इस हड़ताल से बाहर रखा गया. श्री दीक्षित ने मोतिहारी में मारे गये डॉ. एसबी सिंह के परिजनों को 25 लाख रुपये बतौर मुआवजा और उनके दिव्यांग पुत्र को सरकारी नौकरी देने की मांग की.
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