चारा घोटाला : लालू के खिलाफ केस फिर शुरू करना चाहती है सीबीआई
बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के कुछ ही दिन बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को सीबीआई ने झटका दिया है.
राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव |
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में लालू प्रसाद के खिलाफ मुकदमा चलाने के पर्याप्त सबूत हैं. सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले की समीक्षा का सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है.
सीबीआई ने लालू के इस दावे को कानूनी रूप से गलत बताया कि चाईबासा मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन पर देवघर कोषागार से कथित हेराफेरी का मुकदमा नहीं चल सकता. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा 33 अन्य पर देवघर ट्रेजरी से 85 लाख रुपए निकालने का आरोप है.
चाईबासा मामले में लालू को पांच साल के कठोर कारावास का दंड दिया गया था. लालू 13 दिसम्बर, 2013 से जमानत पर हैं. सजायाफ्ता होने के कारण लालू को लोकसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था. वह 11 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकते.
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आपराधिक साजिश तथा आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत आरोप खत्म करने के झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है.
रांची में सीबीआई की विशेष पीठ ने सितम्बर 2013 में लालू प्रसाद और 44 अन्य अभियुक्तों को 1994-95 में चाईबासा के कोषागार से धोखाधड़ी करके 37 करोड़ 70 लाख रुपए निकालने के जुर्म में दोषी ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में दिसम्बर 2013 में उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.
सीबीआई ने यह अपील झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की है जिसमें उसने निचली अदालत में लालू प्रसाद के खिलाफ दो धाराओं के तहत मुकदमा जारी रखने की सीबीआई को अपील को सही ठहराया था, लेकिन साथ ही अन्य आरोप इस आधार पर हटा दिए थे कि एक व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.
हाईकोर्ट ने लालू यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 12, 120-बी, 409, 420, 471, 477, 477-ए और भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 13 (2) के तहत आरोप हटा लिए थे. हाईकोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 20(2) के तहत किसी भी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. सीआरपीसी की धारा 300 भी एक ही मामले में दो बार मुकदमा चलाने पर पाबंदी लगाती है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका में सीबीआई ने कहा है कि फर्जीवाड़ा करके ट्रेजरी से रकम निकालने का मामला अलग-अलग समय और विभिन्न स्थानों का है, इसलिए समान तथ्यों के आधार पर लालू को राहत देने का आदेश गलत है. सीबीआई ने समान आधार पर अन्य अभियुक्तों की अर्जी का भी जिक्र किया है जिसमें हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.
सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 219 का हवाला देकर कहा कि अगर एक ही तरह का अपराध एक वर्ष के दौरान किया गया हो तो एक ही मुकदमा चलाने का प्रावधान है, लेकिन मौजूदा मामले में अपराध की अवधि में अंतराल काफी अधिक है.
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