पेटा पर लालू का पलटवार- रेसकोर्स में दौड़ते घोड़ों पर क्यों नहीं होता पेट दर्द

Last Updated 04 Aug 2015 03:13:46 PM IST

बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए (टमटम) का इस्तेमाल करने के राजद सुप्रीमों कहा कि आखिर रेसकोर्स दौड़ते घोड़ों को देखकर (पेटा) के पेट में दर्द क्यों नहीं होता.


फाईल फोटो

बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए (टमटम) का इस्तेमाल करने के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की घोषणा के बाद पशुओं के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था पेटा (पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ ऐनीमल्स) द्वारा निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर इस पर रोक लगाने की मांग पर राजद सुप्रीमों ने पलटवार करते कहा है कि आखिर रेसकोर्स में अमीरों की शर्तो पर दौड़ते घोड़ों को देखकर (पेटा) के पेट में दर्द क्यों नहीं होता.
       
श्री यादव ने मंगलवार माइक्रो ब्लागिंग साईट ट्वीटर पर लिखा, रेसकोर्स में अमीरों के शर्तों पर घोड़े दौड़ते हैं तो पेटा के पेट में दर्द नहीं होता, तब तो घोड़ों का कल्याण होता है ना! उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि पेटा को बताना चाहिए कि क्या उनकी पार्टी चुनाव प्रचार के साथ ही टमटम में घोड़ों का प्रयोग शुरू हुआ या सदियों से होता आ रहा है? तब पेटा कहाँ थी?
       
राजद अध्यक्ष ने कहा, गरीबों का पेट भरने टमटम में घोड़े दौड़ रहे हैं तो पेटा के पेट में मरोड़ आने लगा! गाड़ियों के दौर में भी लोग पेट भरने को घोड़ों पर निर्भर हैं. टमटम मालिकों का अपने घोड़ों के संग परिवार सा जुड़ाव होता है, इन घोड़ों को रेस के घोड़ों की तरह बूढ़ा होने पर गोली नहीं मार दिया जाता!

उल्लेखनीय है कि पेटा और एनिमल वेल्फेयर पार्टी (एडब्ल्यूपी) ने घोड़ों से चलने वाले टमटम के प्रयोग पर रोक लगाए जाने के लिए जरूरी कार्रवाई करने को लेकर चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा है. इससे पूर्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हाईटेक रथ के जवाब में राजद अध्यक्ष ने हाल ही में चुनाव के दौरान प्रचार के लिए एक हजार टमटम के प्रयोग करने की घोषणा की थी.
       
पेटा और एडब्ल्यूपी के अनुसार यह चुनाव आयोग द्वारा साल 2012 में जारी उस सलाह का उल्लंघन है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों से चुनाव प्रचार में पशुओं के इस्तेमाल न किए जाने की बात कही गई है. पेटा इंडिया ने राजद प्रमुख से चुनाव प्रचार के लिए टमटम के प्रयोग की अपनी योजना को रद्द करने की अपील करने के साथ निर्वाचन आयोग से भी इस पर रोक लगाए जाने के लिए चिट्ठी लिखी है.
           
पेटा इंडिया का मानना है कि राजनीतिक चुनाव प्रचार के तहत पशुओं को भीड़ वाले इलाकों में ले जाने और भारी शोर से नुकसान हो सकता है. अधिक भार के कारण प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पशु गिर सकते हैं जिससे उन्हें तथा लोगों को शारीरिक चोट भी पहुंच सकती है.
          
वहीं एडब्ल्यूपी ने प्रधानमंत्री कार्यालय में चिट्ठी भेजकर विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के लिए भाजपा के रथ के खिलाफ टमटम के इस्तेमाल पर एतराज जताते हुए उस पर रोक लगाए जाने की मांग की है.
 



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