पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम समेत 13 दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देने के बाद बिहार विधानसभा स्थगित

Last Updated 03 Aug 2015 06:23:34 PM IST

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम और 12 दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई.


श्रद्धांजलि के बाद बिहार विधानसभा स्थगित

विधानसभा में पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम, बिहार और केरल के पूर्व राज्यपाल आरएस गंवई, पूर्व मंत्री बालेर राम, राम नरेश प्रसाद, आनंद मोहन सिंह, रामपरीक्षण साहू, पूर्व विधायक मांगन इंसान, प्रो. अरूण कुमार सिन्हा, बलदेव हाजरा, सुशील कुमार सिंह, जयकुमार पालित, माधव सिन्हा और बैद्यनाथ यादव को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.

बाद में सभी सदस्यों ने एक मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिये प्रार्थना की. इसके बाद सभाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सभा की कार्यवाही कल ज्ञारह बजे पूर्वान तक के लिये स्थगित कर दी.

सदन में अदालत के आदेश से सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के आठ बागी विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू, नीरज बबलू, राहुल कुमार, रवीन्द्र राय, पूनम देवी, अजीत कुमार, राजू सिंह और सुरेश चंचल सदन में मौजूद थे.

पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण जदयू की सिफारिश पर विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी. बागी विधायकों ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी थी जहां से उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति मिल गयी, लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं दिया गया है.

इससे पूर्व सभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद सभाध्यक्ष ने अपने प्रारंभिक संबोधन में सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान सा सात अगस्त तक निर्धारित है जिसमें वित्तीय वर्ष 2015-16 के प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी और तत्संबंधी विनियोग विधेयक तथा राजकीय विधेयक पेश किये जायेंगे.

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के संसदीय प्रणाली के शासन में विधायिका सर्वोच्च संस्था है, इसलिये यदि लोकतंत्र को मजबूत करना है तो लोकतांत्रिक संस्था को यथोचित सम्मान और गौरव प्रदान किया जाना चाहिए.

सभाध्यक्ष चौधरी ने कहा कि इसके लिये सभी सदस्यों को यह स्मरण रखना होगा कि नियम-कानून और परम्पराओं के तहत राज्य के आम नागरिकों की समस्याओं को सदन में आत्म संयम से रखा जाना चाहिए और तब हम आम लोगों के प्रति सजग, सचेत और जवाबदेह हो सकेंगे.

उन्होंने कहा कि वर्तमान सा कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है. 15 वीं विधानसभा का अंतिम और ऐतिहासिक सत्र है. इसके माध्यम से समाज की अंतिम सीढ़ी पर खड़े लोगों का उन्नयन और विकास की रौशनी उन तक पहुंचाना सभी का पुनीत कर्तव्य है.

चौधरी ने सभी सदस्यों से सदन के संचालन में सहयोग की उम्मीद करते हुए कहा कि सदन का उपयोग साकारात्मक, रचनात्मक और सहयोगात्मक रूप से करते हुए राज्य के ज्वलंत विषयों पर चर्चा कर सकते है. इसके बाद सभाध्यक्ष ने पीठासीन पदाधिकारियों और कार्यमंत्रणा समिति के सदस्यों की नामों की घोषणा की.



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