बाढ़ हत्याकांड से राजनीतिक पारा उफान पर
बिहार में राजधानी पटना से लगे बाढ़ अनुमंडल में पिछले दिनों चार युवकों का अपहरण और उनमें से एक युवक की हत्या के मामले में जनता दल यूनाइटेड के विधायक अनंत सिंह की गिरफ्तारी को लेकर उपजा विवाद अब राजनीतिक रंग लेने लगा है
जनता दल यूनाइटेड के विधायक अनंत सिंह (फाइल फोटो) |
जिसका असर इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ने की संभावना है . बाढ़ अनुमंडल में लगभग एक सप्ताह पूर्व चार युवकों का अपहरण और उसके बाद एक युवक की हत्या किये जाने के मामले में मोकामा के जदयू विधायक अनंत सिंह का नाम आने से ही राजनीतिक सरगर्मी बढ गयी थी .जो अब उफान पर है .
इस घटना में मारा गया युवक पुटुश यादव के परिवार और जमात के पक्ष में खड़े दिखे राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दबाव में विधायक श्री सिंह की गिरफ्तारी हुयी .
हालांकि श्री सिंह की गिरफ्तारी को पुलिस बिहटा के एक पुराने मामले से जोड़कर बता रही है .
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्री सिंह की गिरफ्तारी को कानून के राज के तहत की गयी कार्रवाई बताया है . उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में न तो किसी को किसी मामले में फंसाया जाता है और न ही बचाया जाता है . उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि किसी के दबाव में विधायक श्री सिंह की गिरफ्तारी हुयी है .
विधानसभा चुनाव के पूर्व ही विधायक श्री सिंह की गिरफ्तारी से उनके जमात के लोग नाराज दिख रहे है और वे इसे एक जाति विशेष को खुश करने की कवायद मान रहे है . राष्ट्रीय लोक समता पार्टी:रालोसपा: के सांसद अरूण कुमार ने तो इस मामले को लेकर मुख्यमंी श्री कुमार को खामियाजा भुगतने की धमकी तक दे डाली है .
इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट किया है कि विधायक श्री सिंह की गिरफ्तारी से यह मतलब नही निकाला जाना चाहिए कि बिहार में कानून का राज है . भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजद अध्यक्ष श्री यादव और मुख्यमंत्री श्री कुमार दोनों ही अपराधियों को राजनीतिक लाभ के लिये संरक्ष्ण देते रहे है .
वहीं जन अधिकार पार्टी के संरक्षक और मधेपुरा से सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बाढ़ में मारा गया पुटुश यादव समेत जदयू विधायक अनंत सिंह के खिलाफ दर्ज अब तक सभी मामलों की केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराये जाने की मांग की है .
ऐसा लगता है कि बाढ़ की घटना को लेकर सभी दलों के रवैये से विधानसभा चुनाव के पूर्व ही राजनीतिक पारा काफी बढ़ गया है और इसका असर चुनाव में भी दिखने की
संभावना प्रबल हो गयी है .
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