भाजपा में नये साथियों के लिए खुले हैं दरवाजे
भाजपा ने बिहार होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और राजद से निष्कासित किये गये पप्पू यादव के साथ हाथ मिलाने की संभावनाओं का संकेत दिया है.
मोदी-मांझी |
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को साफ कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर पार्टी के दरवाजे खुले हुए हैं और इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ही नहीं, बल्कि राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से भी बातचीत चल रही है.
गौरतलब है कि जीतन राम मांझी सोमवार से ही राजधानी दिल्ली में कैम्प कर रहे हैं. समझा जाता है कि वह 29 मई तक यहां रहेंगे और इस दौरान वे प्रधानमंत्री समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ चुनाव को लेकर बातचीत कर सकते हैं.
पार्टी मुख्यालय में मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में जब शाह से यह पूछा गया कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में तालमेल को लेकर मांझी और पप्पू यादव से बातचीत चल रही है, तो उन्होंने कहा कि सबसे बातचीत चल रही है.
पार्टी के दरवाजे खुले हुए हैं और वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में और दल शामिल हो सकते हैं. बिहार में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने वाला है और दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली भारी पराजय के बाद बिहार के इस चुनाव को भाजपा के लिए महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है.
शाह ने कहा कि बिहार विधानसभा का चुनाव कठिन है और हम उसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं लेकिन हमें भरोसा है कि राजग वहां पूर्ण बहुमत से सरकार बनायेगी. उन्होंने कहा कि उनके लिए हर चुनाव एक परीक्षा की तरह है.
शाह ने कहा कि रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और उपेन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) हमारी भाजपा की मौजूदा सहयोगी पार्टियां हैं.
भाजपा बिहार में अपने पूर्व सहयोगी, जदयू नेता नीतीश कुमार को परास्त करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. नीतीश ने अपने धुर विरोधी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से हाथ मिलाया है.
नीतीश और लालू के बीच मतभेद के सामने आने के साथ भाजपा का मानना है कि वह बिहार के इन दोनों क्षत्रपों से राज्य को मुक्त करा सकती है जिन्होंने कुल मिलाकर 25 वर्षों तक यहां शासन किया है.
जदयू और राजद ने भाजपा का मुकाबला करने के लिए पहले जनता परिवार के चार अन्य दलों के साथ विलय की घोषणा की थी लेकिन अब उनकी यह योजना पटरी से उतर गयी लगती है और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये दोनों दल गठबंधन के रूप में चुनाव लड़ेंगे.
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