लालू डबल गेम न खेलें : मांझी

Last Updated 23 May 2015 06:18:03 AM IST

राजद प्रमुख लालू प्रसाद के साथ आने के ऑफर के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि अगर लालू नीतीश का साथ छोड़ दें, तो वे उनसे बात करेंगे, लेकिन अपनी शर्तों पर.


जीतन राम मांझी (फाइल फोटो)

मांझी ने कहा, मेरी शर्त होगी कि लालू मुझे मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर चुनाव मैदान में उतरें. फिर हम उनके साथ रहेंगे.

मालूम हो, राजद सुप्रीमो ने बृहस्पतिवार को कहा था कि मांझी को भाजपा विरोधी मोच्रे में शामिल होना चाहिए. मांझी ने कहा है कि उनके लिए राजद, कांग्रेस और भाजपा सब बराबर हैं. मांझी ने कहा गठबंधन पर मेरी हर किसी से बात चल रही है लेकिन मेरी एकमात्र शर्त है कि जो मुझे मुख्यमंत्री बनाने का भरोसा देगा, हम उसे अपना समर्थन देंगे, लेकिन इससे कम पर हम कोई समझौता नहीं करने वाले हैं. लालू के प्रस्ताव को ठुकराते हुए मांझी ने कहा, मैं जनता परिवार का सदस्य नहीं बनने वाला हूं. लालू नीतीश का जब तक साथ नहीं छोड़ते हैं, तब तक हम दोनों एक साथ नहीं हो सकते. मांझी ने कहा, लालू डबल गेम नहीं खेलें.

पहले वे अपना स्टैंड साफ करें. वे यह तय करें कि नीतीश के साथ रहेंगे या फिर मांझी के साथ. फिर हम बात करेंगे. मांझी ने कहा, मुझे सीएम पद से कोई मोह नहीं है. बतौर सीएम मेरे 34 फैसलों को लागू करना जनता के लिए जरूरी है. सीएम बनकर यह फिर से लागू कर सका तो मुझे खुशी होगी. ऐसा नहीं कर सका तो जो इसे पूरा करेगा, मैं उसे भी समर्थन दूंगा. मांझी ने कहा, मैं पप्पू यादव का साथ नहीं छोड़ूंगा. वैसे भी लालू की ओर से ऐसा कोई बयान नहीं आया है. ऐसी कोई शर्त राजद की ओर से रखी जाती है तो फिर हम उस पर विचार करेंगे.

कांग्रेस से गठबंधन को लेकर पूर्व सीएम ने कहा, नहीं, अभी किसी के साथ कुछ फाइनल नहीं हुआ है. जब तक फाइनल नहीं होता हम कुछ नहीं कह सकते. यह पूछे जाने पर कि चर्चा है कि कांग्रेस ने मांझी के प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखाया है, लेकिन उसकी ओर से भी कुछ शर्त रखी गई है तो मांझी ने कहा, इस मामले पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं करेंगे. समय आने पर सब पता चल जाएगा. मेरी सकारात्मक बात चल रही है. नीतीश के साथ अपने संबंधों को लेकर मांझी ने बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा, वे (नीतीश) जो चाह रहे थे वह सब हो रहा था. डीजीपी और मुख्य सचिव पहले उनके पास जाते थे, फिर मेरे पास आते थे.

मेरी कम, उनकी बात ज्यादा मानते थे. मुख्यमंत्री मैं था, लेकिन चलती थी नीतीश की. वे जो चाह रहे थे वह सब उन्हें मेरी ओर से दिया जा रहा था. एक बार वे अपनी ओर से कह देते तो मैं इस्तीफा दे देता, लेकिन उनकी ओर से ऐसी पहल नहीं की गई और फिर दोस्ती में दरार बढ़ती चली गई. हद तो तब हो गई जब उन्होंने कुंठा से मेरी सरकार के 34 फैसलों को बदल दिया.



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