नीतीश ने की बैंकों से सालाना ऋण योजना बढ़ाने की अपील

Last Updated 20 May 2015 11:43:56 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैंकों से प्रदेश के विकास में भागीदार बनने की अपील करते हुए उनसे सालाना ऋण योजना बढ़ाने को कहा है.


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति के 52वीं त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए नीतीश ने कहा कि वर्ष 2005-06 में साख जमा अनुपात जो कि 32 प्रतिशत था वह अब बढ़कर 44 प्रतिशत हो गया है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इसका औसत 76 प्रतिशत है. पश्चिमी राज्यों में तो यह औसत और भी ज्यादा है. बिहार में जमा राशि का आधा से भी कम पैसा ऋण के रूप में इस प्रदेश में खर्च हो रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विकास की राह पर चल पड़ा है. विभिन्न बैंको को राज्य की प्रगति में अपनी भूमिका निभानी होगी. निवेश का वातावरण राज्य में बनाना होगा. बिना निवेश के कुछ नहीं हो सकता है. बैंक राज्य में निवेश का प्रवाह बढ़ायें.

उन्होंने कहा कि एनुअल क्रेडिट प्लान का आकार बहुत छोटा है, इसे बड़ा किया जाना चाहिये. अभी यह मात्र 74 हजार करोड़ रुपये का है. इस साइज को बढ़ायें और हर सेक्टर में उदारतापूर्वक ऋण सुलभ करायें.

नीतीश ने कहा कि किसान केडिट कार्ड का नवीकरण हो जाना चाहिये. ज्यादा से ज्यादा किसान केडिट कार्ड से किसानों को आच्छादित किया जाना चाहिये. बैंको को अपने कार्यकलापों में और अधिक सुधार लाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि के क्षेत्र में विकास की संभावना बहुत ज्यादा है. कृषि के विकास के लिये महत्वाकांक्षी रूपरेखा बनाया गया है. इसमें कृषि से जुड़े सभी कार्यों को सम्मिलित किया गया है. मत्स्यपालन, कुकुक्ट पालन, कृषि यांत्रिकीकरण, डेयरी, पोल्ट्री एवं अनाज भंडारण को भी कृषि रोडमैप में सम्मिलित किया गया है. कृषि प्रसंस्करण पर आधारित उद्योगों की राज्य में अत्यधिक संभावना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में बैंकों का सहयोग रहेगा तो घरेलू सकल उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि होगी और प्रदेश का विकास दर बना रहेगा. राज्य की वृद्धि दर काफी संतोषजनक है. बैंकों के सहयोग से वृद्धि दर सतत बनी रहेगी.

उन्होंने कहा कि राज्य में जीविका मॉडल के अन्तर्गत स्वयं सहायता समूह बनाये गये हैं जिसको केन्द्र ने भी मॉडल बनाकर आजीविका के रूप में लागू किया है. उन्होंने कहा कि पांच साल के भीतर राज्य में दस लाख ऐसे समूह गठित किए जाएंगे. इसके माध्यम से राज्य की बड़ी आबादी कवर होगी. अब तक तीन लाख समूह का गठन हो चुका है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 8400 ग्राम पंचायत है जिसमें 5298 ऐसे पंचायत है जहां पर बैंक की शाखा नहीं है. हमारे यहां जनसंख्या के अनुपात मे ग्राम पंचायत की संख्या कम है. हमने साईकिल योजना, पोशाक योजना और विभिन्न तरह की योजनाएं चलाईं. हम चाहते थे कि सभी योजना के लाभार्थियों को सीधे उनके खाते में लाभ की राशि पहुंचा दें पर बैंकों की कमी के कारण यह संभव नहीं हो सका.

कुमार ने कहा कि वह चाहते हैं कि सभी योजनाओं का कार्यान्वयन बैंकों के माध्यम से हो. राहत का काम भी बैंकों के माध्यम से हो. जन-धन योजना का प्रचार हुआ मगर बहुत से खाते में लेनदेन नहीं हुआ. ऐसी परिस्थिति में बैंकों की शाखा और अधिक होनी चाहिये.

उन्होंने कहा कि अधिकांश बैंक वन मैन ब्रांच हैं. मौलिक तौर पर सोचना होगा कि एक आदमी के माध्यम से इतनी योजनाओं का कार्यान्वयन कैसे संभव हो पायेगा इसलिये बैंको में कर्मियों की संख्या को बढ़ाने पर भी सोचने की जरूरत है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर पंचायत में पंचायत सरकार भवन बन रहे हैं. हम बैंक की शाखा को खोलने के लिये पंचायत सरकार भवन में स्थान देने को तैयार हैं. अठारह हजार की आबादी पर एक बैंक शाखा है जबकि राष्ट्रीय औसत ग्यारह हजार का है. 2014-15 में छह सौ बैंक शाखा खुलने के विरुद्ध राज्य में मात्र 389 ही शाखाएं खुल पायी हैं.

नीतीश ने कहा कि इस वर्ष भीषण ठंड, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, चक्रवाती तूफान एवं भूकंप से राज्य को बड़ी क्षति हुई है. फसल की भारी क्षति हुयी है.



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