नीतीश ने दी प्रलोभन में न फंसने की नसीहत

Last Updated 02 Mar 2015 12:52:47 PM IST

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि इस पार्टी का सिद्धांत है कि चुनाव में वादे निभाने के लिए नहीं,तोड़ने के लिए किए जाते हैं.


पल्रोभन में न फंसने की नीतीश ने दी नसीहत(File photo)

ऐतिहासिक गांधी मैदान में जदयू कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए नीतीश ने कार्यकर्ताओं से आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू करने का निर्देश देते हुए कहा कि अगले चुनाव में कई प्रकार के पल्रोभन आयेंगे पर उनमें फंसना नहीं है और विरोधियों का डट कर मुकाबला करना है. हर 10 घर पर एक सक्रिय कार्यकर्ता पूरी मुस्तैदी के साथ खड़े रहेंगे.इतना ही नहीं 10-15 कार्यकर्ताओं की फौज मुहल्लों में तैनात रहेगी.

उन्होंने भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ एक दिन के सांकेतिक उपवास रखने की भी अपील की. अपने संबोधन में नीतीश ने साफ कर दिया कि इस बार का चुनाव आसान नहीं होगा क्योंकि प्रचार के बल पर केंद्र की सत्ता पर कब्जा जमाने वाले बिहार में भी तरह-तरह के प्रचार का हथकंडा अपनायेंगे.

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह,गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी तथा योगगुरु बाबा रामदेव के द्वारा किए गए वादे से जुड़े ऑडियो टेप सुनाते हुए नीतीश ने कहा कि कालेधन को सौ दिनों के भीतर वापस लाने तथा उसके वापस आने से 15-20 लाख रुपये हर गरीब को यूं ही मिल जाने तथा करदाता वेतनभोगी को 5-10 प्रतिशत मिल जाने वादा किया गया था.

उन्होंने कहा कि इसी लुभावने वादे के कारण गरीब और नौकरीपेशा लोगों को उक्त राशि मिलने का भरोसा था पर प्रधानमंत्री अब कह रहे हैं उनकी सरकार को पता ही नहीं कि विदेशों में कितना काला धन जमा है तो चुनाव में यह बात कही क्यों. नीतीश ने आरोप लगाया कि भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उसे चुनावी भाषण और ‘जुमला’ बता रहे हैं और यह कह रहे हैं कि यह सबको पता था कि ऐसा किया जाना संभव नहीं है.

उन्होंने कहा ‘जनता तो झांसे में आ गयी। सबके मन में लड्डू फूट रहे थे कि कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) का बटन दबाओ और 15 से 20 लाख रुपये पा लो। अब सभी ढूंढ रहे हैं.’नीतीश ने आरोप लगाया कि जिस ‘जनधन’ योजना के तहत 12.5 करोड़ खाता खुलने का दावा किया जा रहा है उसमें से अधिकांश में राशि है ही नहीं.गरीबों को 15 से 20 लाख रुपये देने में समय लगता है तो कम से कम उनके खातों में 10-15 हजार रुपये जमा करके ‘बोहनी’ तो कर देते.

इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए नीतीश ने कहा कि उस दौरान भी भाजपा द्वारा न जाने क्या-क्या वादे किए जाएंगे.उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण बिल को ‘काला कानून’ बताते हुए कहा कि संसद की बैठक का भी इंतजार नहीं किया और अध्यादेश ले आए जो किसानों के साथ अन्याय है.

उन्होंने भाजपा पर वोट लेने और सत्ता में आने के बाद किसानों से किए वादे को भूल जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब निजी कॉरपोरेट घरानों,कल-कारखानों और निजी संस्थानों के लिए जमीन का अधिग्रहण होगा जिसके लिए किसान से सहमति की जरूरत नहीं होगी और न ही सामाजिक प्रभाव के आकलन की व्यवस्था की गयी है.

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से बेरोजगार युवाओं से चुनाव के समय वादे किए गए थे पर रोजगार के नए अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं और जो नियुक्तियां होनी थीं उस पर भी रोक लगा दी गयी है.नीतीश ने दावा किया कि वित्त मंत्री जेटली ने बिहार की राशि में कटौती का विरोध करने पर आंध्र प्रदेश की तर्ज पर बिहार को विशेष सहायता देने की घोषणा की है मगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की उनकी मांग अभी भी अपनी जगह कायम है और जब तक नहीं मिलेगी तब तक लड़ाई जारी रहेगी.

लोकसभा में पेश किए गए आम बजट का जिक्र करते हुए नीतीश ने कहा कि इसमें आम आदमी,किसान और गरीबों की नहीं बल्कि कॉरपोरेट घरानों की चिंता की गयी है जबकि लोकसभा चुनाव के समय भाजपा का नारा था अच्छे दिन आएंगे. लोग पूछते हैं,‘कब आएंगे, मैं कहता हूं कि जिनकी (पूंजीपतियों) सरकार है उनके लिए अच्छे दिन आ गए तथा जिनके नहीं आए वे चेत जायें.’

नीतीश ने कहा कि पिछले नौ महीनों में भारत के 10-12 खरबपतियों की संपत्तियों में 82460 हजार करोड़ का इजाफा हुआ है जिसमें एक की संपत्ति तो 16740 करोड़ बढ़ गयी है.उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का ‘गेम प्लान’ था कि मांझी सरकार गलतियां करती रहे और इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में वह बाजी मार ले जाए.

जम्मू- कश्मीर में पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार बनने पर उन्हें शुभकामना देते हुए नीतीश ने आरोप लगाया कि वहां के चुनाव के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता (नरेंद्र मोदी) ने कश्मीर के लोगों से कहा था कि बाप-बेटे (फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला) और बाप-बेटी (मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती) के चक्कर में रहने के बजाय भाजपा को वोट दें और आज उन्हीं के साथ सरकार बना रहे हैं.उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के समय भी ऐसी ही बातें की जाएंगी पर लोगों को उनके झांसे में नहीं आना है.

नीतीश ने मांझी प्रकरण पर कहा कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और संगठन के काम में लग गये थे। सत्ता की ओर देखते भी नहीं थे.इस बीच जिलों के भ्रमण के दौरान लोगों ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने को अनुचित बताया.इसके बाद भी कुर्सी की ओर देखा नहीं.उन्होंने मांझी का नाम लिये बगैर कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया तो ठीक लेकिन कुर्सी से हटाया तो खराब हो गये.

बिहार के विकास की जिम्मेवारी सौंपी तो रोज तरह-तरह के बयान आने लगे.मुझे लगा कि सब कुछ ठीक हो जायेगा पर ऐसा नहीं हुआ.मेरे सहयोगी मंत्री भी कहने लगे कि सरकार रहेगी तब न ठीक कीजियेगा.उन्होंने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि कुर्सी छोड़ दें,तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होगा.पूछा गया कि कैबिनेट की बैठक का एजेंडा क्या है तो कहा विधानसभा भंग करना है.

एक अजीब स्थिति उत्पन्न कर दी गयी इसके बाद मैंने सोचा कि बिहार के हित में विधानसभा भंग करना उचित नहीं होगा.विधायकों के हित में दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जाना उचित समझा.रैली को संबोधित करते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने भी केन्द्र सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि प्रचार पार्टी का दिल्ली पर कब्जा हो गया है। शरद ने आम बजट में गरीबों,किसानों और आमजनों की अनदेखी करने तथा उसमें पूंजीपतियों का हित बताया.रैली को प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह तथा कई अन्य मंत्रियों तथा पार्टी नेताओं ने संबोधित किया.



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