टीकाकरण के आंकड़े वास्तविकता से दूर

Last Updated 21 Dec 2014 06:03:22 AM IST

वर्ष 2015 को नवजात शिशु वर्ष-2 के रूप में मनाया जायेगा. यह घोषणा मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को बिहार में पेंटावैलेंट टीके के लिए मीडिया और कम्युनिकेशन कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर की.


टीकाकरण पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी.

उन्होंने कहा कि मेरी इच्छा है कि पेंटावैलेंट टीकाकरण का काम राज्य में सफलता के साथ पूरा हो.

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘शिक्षित शिक्षा मंत्री ने अशिक्षित मुख्यमंत्री को नवजात शिशु वर्ष की याद दिलायी उसके लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं. नवजात शिशु वर्ष के लिए सारी आवश्यकताओं को बिहार सरकार पूरी करेगी. उन्होंने कहा कि हमें बुनियादी बातों पर ध्यान देना होगा.

खान-पान, वातावरण को शुद्ध रखना होगा. पहले औषधिय पौधे नीम, बरगद, पीपल प्रचुर संख्या में थे, जिससे हवा शुद्ध रहती थी, पर आज जंगल कट रहे हैं, जिससे पर्यावरण दूषित हो रहा है. शायद यही कारण है कि जब हम पर्यावरण पर ध्यान नहीं दे रहे हैं तो बीमारियों के झमेले में फंसते जा रहे हैं.

पहले हमारे वैद्य, हकीमों के पास ऐसी-ऐसी दवाएं थीं कि गंभीर से गंभीर बीमारियां लेप लगाने से ठीक हो जाती थीं. जब तक हम प्रकिृत को नहीं बचायेंगे तब तक कुछ लाभ होने वाला नहीं है. पर्यावरण की सुरक्षा करनी होगी. हम पुरानी बातों को भुलते जा रहे हैं. खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा में हम पाश्चात्य देशों की नकल कर रहे हैं, जिसके कारण समाज के नजरिये में बदलाव हो रहा है. वेशभूषा एवं पहनावे पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी इच्छा है कि राज्य में पेंटावैलेंट टीकाकरण सफलता के साथ पूरा हो और लोग इससे लाभान्वित हों. उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य का घनिष्ठ संबंध है. मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता जतायी कि राज्य में टीकाकरण के जो आंकड़े पेश किये जाते हैं, वह हकीकत से कहीं दूर है. प्राय: देखा जाता है कि गांवों में टीकाकरण होता ही नहीं हैं, लेकिन कागजों पर शत-प्रतिशत टीकाकरण हो जाता है.  उन्होंने कहा कि इस तरह की बीमारियां क्यों हैं इनके कारणों का गंभीरता से अध्ययन होना चाहिये.

‘प्रीवेन्सन इज बेटर दैन क्योर’ के सिद्धांत को अपना कर हमें ऐसी व्यवस्था करनी चाहिये कि बीमारियां कम से कम हो और लोग स्वस्थ्य रहें. उन्होंने कहा कि वे एलोपेथ साइंस के साथ-साथ चिकित्सा की अन्य पद्धतियों का भी सम्मान करते हैं. देशी चिकित्सा में भी गुण है. अपनी संस्कृति, ग्रामीण परिवेश एवं अपने पूर्वजों की ओर देखें. उनसे सीख लें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि टीकाकरण का काम सही ढंग से होना चाहिये. टीकाकरण का लाभ गरीब बच्चों को निश्चित रूप से मिले, इस पर ध्यान देना चाहिये. टीकाकरण और पेंटावैलेंट टीके के संबंध में आशा और एएनएम को प्रशिक्षण दिलाये जाने की व्यवस्था की जाये. आशा एवं एएनएम को नि:स्वार्थ सेवा भाव के साथ लोगों की सेवा करनी होगी. चिकित्सकों को भी मानवीय दृष्टि को अपनाकर काम करने की जरूरत है.

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य के सभी जिलों के लिए एक-एक प्रचार वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. ये प्रचार वैन गांव-गांव जाकर लोगों को पेंटावैलेंट टीके के बारे में जानकारी देंगे. यह टीका बच्चों को पांच घातक रोगों गलघोंटू, काली खांसी, टिटनस, हेपेटाइटिस बी, और हिमेंलिलिस इफ्लुएंजा (टाइप बी) से बचाता है. इसलिए इसें पेंटावैलेंट के नाम से जाना जाता है. समारोह की अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने कहा कि डीपीटी और हेपेटाइटिस बी पहले से नियमित टीकाकरण में शामिल है.

अब हिब का भी टीका शामिल किया गया है. यह टीका  निमोनिया, मेनेंजाइटिस, सेप्टिसेमिया, ऐपिग्लोटाइटिस और सेप्टिक ऑथरेराईटिस जैसे गंभीर रोगोंसे लोगों को बचाने में कारगर साबित होगा. पेंटावैलेंट टीका लगाने से शिशु मृत्यु दर में कमी आयेगी. निमोनिया और हेपेटाइटिस बी के लिए अलग से टीका नहीं लगाना पड़ेगा.

शिक्षा मंत्री वृषिण पटेल ने कहा कि विगत पांच वर्षों में शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई है. पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2010 को नवजात शिशु वर्ष के रूप घोषित किया था, जिसका बड़ा लाभ मिला था और शिशु मृत्यु दर में कमी आई थी. उन्होंने वर्ष 2015 को पुन: नवजात शिशु वर्ष घोषित किये जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि इंसान और जानवर में यही फर्क है कि इंसान चुनौतियों का मुकाबला करता है और नई-नई खोजकर समाज को परेशानियों से मुक्ति दिलाता है.



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