जब दलित सीएम प्रताड़ित तो औरों का क्या

Last Updated 25 Nov 2014 06:18:16 AM IST

बिहार में जदयू सरकार के नौंवी रिपोर्ट कार्ड जारी होने के एक दिन पहले सोमवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने खुलकर अपने मन की बात कही.


बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (फाइल फोटो)

राष्ट्रीय सहारा से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि जब दलित मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लोग प्रताड़ित कर सकते हैं तो आम दलितों के साथ क्या करते होंगे यह बताने की जरूरत नहीं है. उनकी नजर में लालू, राबड़ी, नीतीश व मांझी चतुर्भुज के चार कोण हैं. चारों ने मिलकर बिहार को नयी दिशा दी है. चारों नेताओं ने अपने-अपने कार्यकाल में समाज में जागृति लाने का काम किया. उन्होंने कहा कि वे एमएलए और एमपी बनना चाहते थे. मंत्री और मुख्यमंत्री के बारे में तो कभी सोचे ही नहीं थे. नीतीश की कृपा से मुख्यमंत्री बन गये. उन्होंने कहा कि वे अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड मंगलवार को जारी करेंगे. अपने संक्षिप्त कार्यकाल से संतुष्ट मांझी ने कहा कि हमने केवल पाया है. खोया कुछ नहीं. कांग्रेस व भाजपा सरकार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मनमोहन एवं मोदी दोनों एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं. दोनों ने महंगाई व भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया. उन्होंने कहा कि वे 2015 तक तो मुख्यमंत्री हैं ही. हो सकता है 2015 के बाद भी बनें. पेश है मुख्यमंत्री से सवाल और उनके जवाब-

सवाल : लालू, राबड़ी, नीतीश व मांझी में नंबर वन मुख्यमंत्री किसे मानते हैं?

जवाब : लालू, राबड़ी, नीतीश व मांझी चतुर्भुज के चार कोण हैं. चारों की अपनी अपनी खासियत है. सबने अपने समय व परिस्थिति के अनुसार सबसे अच्छा काम किया. लालू ने वह काम किया जो 50 वर्षो में किसी ने नहीं किया. उन्होंने दलित, आदिवासी एवं पिछड़ों को जुबान दी, उनमें स्वाभिमान पैदा किया. लालू के मुख्यमंत्री बनने से पहले इस समाज के लोग दफ्तर या सड़क पर डर से कुछ नहीं बोलते थे. लालू के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों में जागृति आई. उन्होंने गांव गांव जाकर लोगों को जुबान दी, जिसके कारण आज दलित व पिछड़े वर्ग के लोग आगे बढ़ रहे हैं. अपने हक के लिए लड़ रहे हैं. नीतीश ने बीमारू राज्य बिहार को स्वस्थ किया. ठप पड़े विकास कार्यों को शुरू कराया. पंचायती राज्य में आरक्षण देकर दलित एवं पिछड़ों में राजनीतिक चेतना जगाने का काम किया. दलित एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को आगे बढ़ाया. अपराध पर नियंत्रण किया. राबड़ी देवी बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी. उन्होंने महिलाओं के उत्थान का काम किया. विपरीत परिस्थितियों ने उन्होंने सच्चे दिल से बिहार के विकास में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. मैं तो दलितों एवं पिछड़ों के उत्थान में लगा हूं. मैं नीतीश कुमार से बड़ी रेखा खींच रहा हूं. सामाजिक क्षेत्र में नीतीश से जो काम छूट गया था, उसे पूरा कर रहा हूं. नीतीश  ने 3 डिसमिल जमीन दलितों को दी थी. उसे बढ़ाकर हमने पांच डिसमिल कर दिया. जमीन के लिए नीतीश 20 हजार रुपये दे रहे थे. हमने एमवीआर रेट से पैसा देने का निर्णय लिया. हमने मैट्रिक पास छात्रों को 10 हजार रुपये देने का निर्णय लिया. इंटर में प्रथम आने पर 15 हजार व द्वितीय आने पर 10 हजार देने का निर्णय लिया. यह एक बड़ी रेखा है.

सवाल : एमएलए, एमपी, मंत्री और मुख्यमंत्री बनने के बाद मन में और क्या बनने की इच्छा है. कभी प्रधानमंत्री बनने की इच्छा होती है ?

जवाब :  विधायक व सांसद बनने की इच्छा थी. मंत्री, मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री बनने की इच्छा कभी भी हमारे मन में नहीं हुई. हमने कभी भी पद की आकांक्षा नहीं की. पद मिल गया तो अपने विवेक से काम कर रहे हैं. मंत्री और विभाग के बारे में हमने कभी नहीं सोचा. चुनाव लड़ें तो विधायक बन गये. एमपी नहीं बन सके. भविष्य में पुन: चुनाव लड़ेंगे. हमारी इच्छा केवल एमपी या एमएलए बनने की है. विधायक बने तो मुख्यमंत्री ने हमें लायक समझकर मंत्री बना दिया. हमने कभी भी मंत्री पद या विभाग की लालसा नहीं की. नीतीश ने हम पर भरोसा करके हमें मुख्यमंत्री बना दिया. हम उनके द्वारा बताए रास्ते पर चल रहे हैं. उनके द्वारा किये गये काम को पूरा कर रहे हैं.

सवाल : दलित मुख्यमंत्री के राज्य में आम दलित प्रताड़ित हो रहे हैं. क्या मुख्यमंत्री को भी दलित होने के कारण कभी प्रताड़ित होना पड़ा है.

जवाब : मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जीतन राम मांझी दलित होने के कारण प्रताड़ित हो रहा है. जिसे कोई अथॉरिटी नहीं है वह हमें बोल रहा है कि संयम से बोलें. अथॉरिटी वाले मुझे कुछ कहें तो समझा जा सकता है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम दलितों को किस तरह से प्रताड़ित किया जाता होगा. इसे हम इस रूप में लेते हैं कि नदी में एक पत्थर डालने से पानी ऊपर उठता है. थोड़ी देर के लिए लगता है कि पानी में अवरोध पैदा हुआ पर पानी फिर शांत हो जाता है. अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को हम सजग कर रहे हैं. हमारे समाज के लोगों ने पहले अपने दिल में शिक्षा की चाहत नहीं पैदा की थी जिस कारण काफी पिछड़ गये. धर्म की आड़ लेकर भी दलितों को शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया गया मगर अब वे शिक्षा से पीछे रहने वाले नहीं हैं. आज आवश्यकता समाज को आगे बढ़ाने की है. जिस तरह मछली विपरीत धारा में चलकर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचती है उसी तरह दलित समाज के लोग भी आगे बढ़ रहे हैं.

सवाल : सरकार का एक साल बचा है. एक साल में कौन सा काम मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में है. मंगलवार को आपके कार्यकाल का पहला रिपोर्ट कार्ड जारी होगा. मुख्यमंत्री बनने के बाद आपने क्या खोया और क्या पाया ?

जवाब : रिपोर्ट कार्ड एक विहित प्रक्रिया है. एक साल में क्या खोया और क्या पाया, रिपोर्ट कार्ड में इसी की चर्चा रहती है. नीतीश ने साल भर के कामकाज का लेखा जोखा लेकर रिपोर्ट कार्ड पेश करना शुरू किया. उसे हमलोग पूरा कर रहे हैं. हमें जो जवाबदेही दी गयी थी उसका निर्वहन कर रहे हैं. हमने मुख्यमंत्री बनने के बाद खोया कुछ नहीं है. केवल पाया ही है. बिजली के क्षेत्र में हमने सुधार किया. छात्रों को छात्रवृति देने का निर्णय लिया. कृषि रोडमैप की तर्ज पर उद्योग रोडमैप चालू किया. पूंजी निवेश के क्षेत्र में काम किया, जिसके कारण इस साल 7000 करोड़ का निवेश हो रहा है. पहले दलित समाज मायावती एवं पासवान में बंट गये थे उसे हमने एक करने का प्रयास किया है. यही हमारी उपलब्धि है. हम नीतीश द्वारा बनाये गये रोडमैप पर चल रहे हैं.

सवाल : मनमोहन सिंह एवं नरेन्द्र मोदी में किसे अच्छा प्रधानमंत्री मानते हैं. मोदी के काम से आप कितना संतुष्ट हैं?

जवाब : मनमोहन एवं मोदी में कोई फर्क नहीं है. दोनों एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं. मनमोहन के समय में भी भ्रष्टाचार था और मोदी के समय में भी भ्रष्टाचार है. यह कहिए कि भ्रष्टाचार और बढ़ गया है. काले धन के मामले में मोदी ने देश की जनता के साथ धोखा किया है. बिहार के परिप्रेक्ष्य में हम मोदी के काम से संतुष्ट नहीं हैं. चुनाव में उन्होंने विशेष राज्य व विशेष पैकेज का वादा किया था पर किया कुछ नहीं. सड़क निर्माण में राज्य सरकार ने जो पैसा खर्च किया था वह भी नहीं मिला. जन धन योजना में एक भी पैसा खाते में नहीं दिया. मनमोहन के समय बिहार को हर साल 6 लाख इंदिरा आवास मिलता था. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसे घटाकर ढाई लाख कर दिया गया. बिहार के लिए हमने 58 हजार करोड़ की योजना बनाकर भेजा था उसमें 12 हजार करोड़ घटा दिया गया है. मोदी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दें, रोड का पैसा दें तो हम उन्हें धन्यवाद देंगे.

सवाल : मुख्यमंत्री मांझी केवल दलित, आदिवासी एवं पिछड़ों की बात करते हैं. दलितों के लिए कोई नयी योजना ला रहे हैं या नहीं. आपकी क्या उपलब्धि है?

जवाब : दलितों के लिए कोई नयी योजना लाने की आवश्यकता नहीं है. दलितों के लिए पहले से ही इतनी ज्यादा योजनाएं चल रही हैं पर उन योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है. हमारा लक्ष्य है कि दलितों के लिए चल रही योजनाओं का लाभ उन्हें हर हाल में मिले. योजनाओं को दलितों के घर तक पहुंचाना हमारा काम है. यही हमारी उपलब्धि होगी. मेडिकल में अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों के नामांकन के लिए कट ऑफ मार्क्‍स को 40 से घटाकर 32 कर इन वगरें के 48 बच्चे जिनका नामांकन मेडिकल में नहीं हो रहा था, करवाया. मेरा प्रयास लगातार जारी रहेगा, अभिवंचितों को न्याय दिलाने में हम पीछे नहीं रहेंगे. गरीबों को आगे बढ़ने का अवसर मिले, इसके लिए वे हर तरह का जतन करेंगे.

सवाल : क्या मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कुछ ही दिनों के मेहमान हैं?

जवाब : जीतन राम मांझी अगर जिंदा रहा तो नवम्बर 15 तक तो मुख्यमंत्री रहेगा ही. हो सकता है चुनाव के बाद भी फिर मुख्यमंत्री बन जाएं. पर यह सब आपके हाथ में नही हैं. समय पर सबकुछ निर्भर करता है. भविष्य में क्या होगा यह कोई नहीं बता सकता है. हमें तो नीतीश ने मुख्यमंत्री की कुर्सी दी है. नीतीश पार्टी के सर्वमान्य नेता हैं. उनके नेतृत्व में हमलोग चुनाव लड़ेंगे. चुनाव के बाद महागठबंधन का नेता कौन बनेगा, यह हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद व पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा कांग्रेस नेता मिलकर तय करेंगे.

सवाल : मांझी के रहते दलितों पर अत्याचार की घटना में वृद्धि कैसे हो गयी?

जवाब : दलित उत्पीड़न की घटना में कहीं कोई वृद्धि नहीं हुई है. पहले दलित उत्पीड़न की घटनाएं लोग डर से सामने नहीं लाते थे क्योंकि वे जानते थे कि उन्हें न्याय नहीं मिलेगा. गांव में लोग उन्हें डरा धमका का चुप करा देते थे. हमने एससी/एसटी एक्ट को धारदार बनाया तो लोग मामले को लेकर आ रहे हैं. मांझी के सीएम बनने से लोगों में जागृति आई है. लोग मामले को थाने तक लेकर आ रहे हैं. पहले अनुसूचित जाति के लिए 10 ही थाने थे जिसे बढ़ाकर हमने 40 किया. इतना ही नहीं अब एससी/एसटी का मामला सभी थानों में दर्ज हो रहा है. हमारे लोगों में जागृति नहीं है जिसके कारण उन्हें योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. शिक्षा की कमी के कारण लोग अंधविश्वास एवं दकियानुसी के चक्कर में फंस जाते हैं.

सवाल : क्या मांझी लालू के नक्शेकदम पर जा रहे हैं. लालू ने मंडल कमंडल के नाम पर अपना वोट बैंक बनाया था. आप भी दलितों को एकजुट कर रहे हैं.

जवाब : लालू ने तो उस समय पिछड़ों व दलितों को जुबान देने का काम किया था. आज हम भी दलितों को हर क्षेत्र में जागृत कर रहे हैं. लालू ने अपने समय अलग ढंग से बहुत अच्छा काम किया. हम भी अपने तरीके से अच्छा काम करने का प्रयास कर रहे हैं. हम दलित समाज के लोगों को शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. दलितों की आबादी 24 प्रतिशत है पर जनगणना में उनका नाम नहीं रहता क्योंकि उनमें जागृति नहीं है. हम उनमें जागृति लाने का प्रयास कर रहे हैं. दलितों को उनकी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. दलितों की योजनाओं को फाइलों में दबा दिया जाता है. हमने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि दलितों पर जो अत्याचार करेगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी.

संतोष कुमार
एसएनबी


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