मांझी का एक और विवादित बयान, कहा- वोट के लिए नहीं की महिला की मदद

Last Updated 17 Nov 2014 12:17:09 PM IST

बयान से राजनीति में भूचाल पैदा करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का एक और विवादित बयान सामने आया है.


वोट के लिए नहीं की महिला की मदद (फाइल फोटो)

मांझी का यह विवादास्पद बयान राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पटना में सामने आया है.मांझी ने कहा कि जब वह मंत्री थे तो उनके पास एक जाति विशेष की शिकायत लेकर एक महिला आई, लेकिन उन्होंने उसकी मदद सिर्फ इसलिए नहीं की क्योंकि उस क्षेत्र में उस जाति के सिर्फ 50 हजार वोट थे.

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी एक बात पत्रकारों से बांटी. हालांकि इस बयान के बाद हो सकता है कि वह फिर से विपक्ष और अपनी ही पार्टी के निशाने पर आ जाएं.

यही नहीं सीएम जीतन राम मांझी ने 1990 के चुनाव में अपनी हार का जिम्मेदार अपनी ही एक गलती को ठहराया है.

मुख्यमंत्री ने अपने जीवन का एक वाकया सुनाने हुए कहा कि 1990 में करीब 185 वोटों से चुनाव हार गये, तो लोग रो रहे थे. इस चुनाव से पहले उन्हीं की जाति के लालजी मांझी की जमीन एक-दो रुपया में जंगल के राजा कहे जाने वाले मुखिया टेकनारायण ने जबरन लिखवा लिया था.

लालजी मांझी एक बार उनके पास आये और कहा कि वह जमीन तो ले लिये अब मेरे घर की इज्जत सुरक्षित नहीं है. यादव का वह पूरा बेल्ट था. हमें वोट लेना था, इसलिए उनकी मदद नहीं की. हमें लगा कि मुखिया के खिलाफ जायेंगे, तो 50 हजार वोट स्वाहा हो जायेंगे. इसी के बाद हम चुनाव हार गये थे.

खुले मंच से उन्होंने ये कबूल किया कि फतेहपुर का विधायक होने के दौरान उन्होंने एक ऐसे महादलित की मदद नहीं की जिसका आर्थिक शोषण करने के बाद उसके घर की इज्जत पर भी उसी गांव से दबंग मुखिया ने डाका डाला था.

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर रविवार को मीडिया से बिचौलियों के कारनामों को उजागर करने की अपील की.

मुख्यमंत्री संवाद कक्ष में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि राजनेता कई दायरों से बंधे होते हैं. वोट के कारण कई बार उन्हें समझौता करना होता है, लेकिन, पत्रकारों के सामने ऐसी कोई बंदिश नहीं होती. उन्हें गरीबों के हक से जुड़ी ऐसी बातों को खुल कर खबर के रूप में परोसना चाहिए, ताकि सरकार इन पर कार्रवाई कर सके.

मुख्यमंत्री ने उदाहरण दिया कि जब इंदिरा आवास में नकद दिया जाता था तो बिचौलिये उसका अधिकतर हिस्सा मार ले जाते थे. जब चेक दिया जाने लगा, तब भी बिचौलिया अपना हिस्सा ले लेते हैं. लाभुकों को मात्र 20 फीसदी राशि ही मिल पाती है.



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