अद्भुत है यह बच्चा, कैलकुलेटर है इसका दिमाग

Last Updated 14 Nov 2014 01:52:30 PM IST

बिहार में एक ऐसा अद्भुत बच्चा है जिसका दिमाग कम्प्यूटर की तरह काम करता है. चुटकी में ही किसी गुजरे या आने वाले साल की तारीख बता देता है.


प्रत्युष और उसके पिता नंदकिशोर (फाइल)

जहानाबाद जिले के टेहटा के सरेन मठ गांव का प्रत्युष अपनी आंखों से दुनिया को नहीं देख सकता. वह दिल्ली के एक आवासीय नेत्रहीन स्कूल में पढ़ाई करता है.

उसके पिता नंदकिशोर गिरि फेरी लगा कर मनिहारी का सामान बेचते हैं. गरीबी, अभाव और संघर्ष के बीच पनपी प्रत्युष की इस विलक्षण प्रतिभा के बारे में उसके पिता को भी दो साल पहले जानकारी मिली.

वह जब दिल्ली में प्रत्युष को स्कूल में रख कर वापस लौट रहे थे, तो उसने पूछा-पापा, आप मुझे लेने कब आओगे?
नंदकिशोर ने कोई तिथि बतायी, तो प्रत्युष ने कैलकुलेट कर तुरंत उसका दिन बता दिया.

जब एक-दो बार ऐसा हुआ, तो नंदकिशोर ने क्रॉस चेक करने के ख्याल से कुछ और तारीख बतायी, जिसका प्रत्युष ने सही-सही दिन बता दिया. फिर तो पिता को पक्का विश्वास हो गया कि उनके बेटे के आइ क्यू का स्तर ऊंचा है.

दिल्ली आने-जाने के क्रम में प्रत्युष ने नयी दिल्ली से पटना या गया से होकर गुजरने वाली तमाम ट्रेनों का समय कंठस्थ कर लिया है.

आप उससे पूछें कि श्रमजीवी एक्सप्रेस नयी दिल्ली से पटना आने के क्रम में किन-किन स्टेशनों पर रूकती है, तो वह न केवल सिलसिलेवार स्टेशनों का नाम, बल्कि ठहराव की टाइमिंग तक बता देगा. उसे याद है कि वह कब-कब अपने गांव टेहटा से कौन-सी ट्रेन से, किस तारीख को नयी दिल्ली गया.

प्रत्युष का जन्म 28 सितंबर, 2006 को जहानाबाद के टेहटा स्टेशन के समीप सरेन मठ गांव में हुआ. उम्र अभी मात्र आठ साल है. 2008 से उसकी आंखों की रोशनी कम होने लगी. पिता नंदकिशोर गिरि ने कई जगहों पर डॉक्टरों से दिखाया.

जांच में पता चला कि रेटिना डिटेचमेंट हो चुका है. इसी साल एक अगस्त को पता चला कि आंखों की रोशनी वापस नहीं आ सकती है. यहां तक कि आई ट्रांसप्लांट के जरिये भी रोशनी वापस नहीं आ सकती है.

यानी प्रत्युष अब इस दुनिया को नहीं देख सकता है. नंदकिशोर ने वर्ष 2011 में प्रत्युष का दाखिला दिल्ली के जेपीएम सीनियर सेकेंड्री स्कूल फॉर ब्लाइंड में करवाया. वह तीसरी कक्षा का छात्र है.

नंदकिशोर कहते हैं, बेटा भले ही देख नहीं सकता है, लेकिन उसमें कुछ खास तो है. वह बाकी बच्चों से अलग है. प्रत्युष अपने घर में सबसे छोटे हैं और अपने पिता के सबसे करीब हैं.



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