डॉक्टरों का मांझी को अल्टीमेटम

Last Updated 19 Oct 2014 06:00:58 AM IST

‘गरीब मरीजों का इलाज न करने वाले चिकित्सकों के हाथ काट लेने’ एवं ‘बिना जांच के घर बैठाने’ जैसे मुख्यमंत्री के बयान से बौखलाये डॉक्टरों ने अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा ठप करने का फैसला किया है.




डॉक्टरों का बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अल्टीमेटम

आईएमए की बिहार इकाई और बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) ने शनिवार को मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से 24 घंटे के अंदर इस बयान पर खेद जताने की मांग की. डॉक्टरों ने सीएम को चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे कठोर फैसला लेने के लिए बाध्य होंगे. पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा कुछ पीएमसीएच के अधीक्षक समेत कई  चिकित्सकों के खिलाफ की गई कार्रवाई एवं हाल में आये मुख्यमंत्री के  बयान के खिलाफ सूबे के  चिकित्सक बेहद नाराज हैं. इस मामले में बहुत जल्द ही आईएमए व भासा एक बैठक कर हड़ताल के लिए तिथि निर्धारित करेगा.

इस मसले पर आईएमए सभागार में शनिवार को आईएमए एवं बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) के पदाधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें सौ से अधिक चिकित्सकों ने भाग लिया. बैठक की अध्यक्षता आईएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने की. इस मौके पर वक्ताओं ने मुख्यमंत्री के बयान को गैरजिम्मेवराना, अमर्यादित एवं गैर कानूनी बताया और कहा कि मुख्यमंत्री की इस तरह की टिप्पणी से अपराधी तत्वों को शह मिलती है तथा चिकित्सकों एवं नर्सिग होम में हमले की घटनाओं में वृद्धि होती है. इससे स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होगी जिसका खमियाजा गंभीर मरीजों को भुगतना पड़ेगा.

चिकित्सकों ने कहा कि मुख्यमंत्री जैसे सम्मानित एवं संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के द्वारा इस तरह का वक्तव्य राज्य के चिकित्सकों को पलायन के लिए मजबूर करेगा. बैठक के बाद भासा के महासचिव डॉ. अजय कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री यदि अपने बयान के लिए खेद नहीं जताते हैं, तो वे इस मामले को मानवाधिकार आयोग से लेकर अदालत तक ले जायेंगे. जरूरत हुई तो राष्ट्रपति के समक्ष भी इस मामले को उठाया जायेगा. उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस मामले को लेकर डाक्टर कोई कठोर फैसला भी ले सकते हैं.

डॉ. कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान से चिकित्सकों में भारी आक्रोश है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान तालिबानियों के जैसा है. तालिबानी ही डाक्टरों के हाथ काट देते हैं. सभ्य समाज में ऐसा नहीं होता है. भासा महासचिव ने विवादास्पद बयान पर मुख्यमंत्री मांझी की सफाई के बारे में ध्यान दिलाये जाने पर कहा कि मुख्यमंत्री को मुहावरे में बात कहने की क्या जरूरत थी.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते तो यह कह सकते थे कि गरीबों के इलाज में कोताही बरतने वाले डाक्टरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे. डॉ. कुमार ने कहा कि यदि यह मान भी लिया जाये कि मुख्यमंत्री ने मुहावरे में बात कही थी तब उन्हें यह समझना चाहिए कि उनके इस मुहावरे को जब हिंदी का कम ज्ञान रखने वाले समझ नहीं पा रहे हैं तो अपराधी जो पढ़े लिखे नहीं हैं उन्हें यह बात कैसे समझ आयेगी. उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधियों को मुख्यमंत्री के बयान के बाद यही लगेगा कि उन्हें डाक्टरों के हाथ काटने का लाइसेंस ही मिल गया है.

आईएमए ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे 24 घंटे के अंदर अपने वक्तव्य एवं पिछले दिनों बिना स्पष्टीकरण पूछे चिकित्सकों के विरुद्ध की गई कार्रवाई को सार्वजनिक रूप से खेद प्रकट करते हुए वापस लें. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तब राज्य के चिकित्सक उच्चतम न्यायालय, मानवाधिकार आयोग एवं महामहिम राष्ट्रपति से न्याय के लिए गुहार लगाएंगे. चिकित्सकों के आक्रोश को देखते हुए चंद दिनों में राज्य की संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा ठप करने की तिथि भी निर्धारित की जाएगी.



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