अपने बयान से पलटते मांझी, कहा लोगों को मुहावरों की समझ नहीं

Last Updated 18 Oct 2014 04:28:51 PM IST

जीतनराम मांझी अपने बयान से पलटते हुए कहा है कि मेरे बयान पर हंगामा करने वालों को मुहावरों की समझ होनी चाहिए.


जीतनराम मांझी (फाइल)

बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपने उस बयान से पलट गए हैं, जिसमें उन्‍होंने गरीबों का इलाज न करने वाले डाक्‍टरों का हाथ काट देने की बात कही थी.

अपने शनिवार के बयान से पलटे सीएम ने  रविवार को इस पर सफाई देते हुए कहा कि उन्‍होंने मुहावरे के तौर पर हाथ काटने की बात कही थी. लोग उसका गलत अर्थ निकाल रहे हैं. उनके इस बयान की चारों तरफ निंदा हो रही है.

उन्होंने कहा कि \'हाथ काटने\' का अर्थ उनका \'अधिकार समाप्त\' कर देने से है न की उनका सचमुच हाथ काटने से है. बयान को थोड़ा समझने की जरुरत है.

उन्होंने कहा कि \'हाथ काट देना\', \'कद छोटा कर देना\' इस सबका मतलब अधिकार कम कर देने से हैं. उन्हें हिंदी मुहावरों का ज्ञान नहीं हैं जो मेरे उस बयान को लेकर हायतौबा मचा रहे हैं.

दरअसल उन्होंने मोतिहारी में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि डॉक्टरों ने गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ किया तो उनके हाथ काट दिए जाएंगे. गरीबों की मदद के लिए मैं किसी भी हद तक जाऊंगा. उन्होंने डॉक्टरों को चेतावनी देते हुए उक्त बात कही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएमसीएच में गड़बड़ी हुई तो हमने कितने लोगों को घर बैठा दिया. लोग कहते हैं कि आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन हम जानते हैं कि यहां गरीबों का इलाज होता है और गरीबों के साथ खिलवाड़ होगा, तो डॉक्टरों के हाथ काट लेंगे.

मुख्यमंत्री के इस बयान पर बिहार भाजपा ने आपत्ति दर्ज कराई है. उसका कहना है कि मांझी पर पुलिस केस दर्ज होना चाहिए.

इससे पहले मांझी ने शराब की वकालत करते हुए कहा था, दारू की लत बहुत बुरी होती है, लेकिन मजबूरी होने पर दवा के तौर पर थोड़ा सा सेवन करें और सो जाएं.

उन्होंने नसीहत दी कि शराब पीने के बाद सड़कों पर आकर न खुद बदनाम हों और न ही समाज को कलंकित करें.

एक अन्य बयान में उन्होंने कम उम्र में शादी को कुपोषण की बड़ी वजह मानते हुए इसे 25 वर्ष किए जाने की वकालत की थी.



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