बेउर जेल में दबंगों की ठाठ, हाजिर है ब्लू फिल्म से लेकर ड्रग्स
अगर ठाठ से रहना है तो बेउर जेल जाएं. यहां ऐशोआराम की हर सुख-सुविधाएं मौजूद हैं. चाहे ब्लू फिल्म हो, शराब हो या ड्रग्स आप इसका लुत्फ यहां उठा सकते हैं.
बेउर जेल |
आदर्श केंद्रीय कारा यानी बेउर जेल कैदियों के लिए जेल कम ऐशोआराम की जगह अधिक हो गया है. दबंग और कुख्यात कैदियों को तो घर से भी अधिक सुविधाएं वहां मौजूद हैं.
उन्हें जिस चीज की आवश्यकता होती है, बस आदेश कर देते हैं. सामान उनके पास पहुंच जाता है. चाहे ब्लू फिल्म हो या शराब अथवा ड्रग्स, सभी सुविधाएं हैं उनके पास. सूत्रों की मानें तो ऐसे कैदियों के वार्ड में आधा दर्जन से भी अधिक बैग में सामान भरे पड़े हैं.
बैग में महंगे इत्र, बॉडी लोशन, डियो, कीमती पाउडर और साबुन के साथ-साथ काजू, बादाम, किशमिश और अन्य प्रकार के ड्राई फ्रूट्स भी रखे हुए हैं.
यही नहीं, यदि ब्लू फिल्म देखने की इच्छा हुई तो उनकी वह ख्वाहिश भी पूरी होती है. मेमोरी कार्ड में लोड किए हुए अंग्रेजी और हिन्दी दोनों तरह की ब्लू फिल्में उनके पास पहुंचा दी जाती हैं. मेमोरी कार्ड को बड़े स्क्रीन वाले मोबाइल में डाल कर वे लोग इसका आनंद लेते हैं.
जहां तक ड्रग्स और शराब की बात है तो वह भी उन्हें वहां आसानी से उपलब्ध हो जाती है. केवल उसके लिए पैसे होने चाहिए. हर वार्ड में टीवी और पंखे की व्यवस्था है.
बाहर बिजली भले ही गुल हो जाए, परंतु जेल के अंदर एक मिनट भी बिजली नहीं कटती है. फिटनेस के लिए जिम और पढ़ने के लिए पुस्तकालय की भी व्यवस्था है.
महिला वार्ड को छोड़ दिया जाए तो बेउर जेल में 118 वार्ड हैं, जिसमें लगभग 2400 बंदी हैं. दबंग कैदियों के लिए सभी सुविधाएं, हर कैदी के पास हैं आधा दर्जन बैग में भरे सामान, ब्लू फिल्म, ड्रग्स, परफ्यूम से लेकर आराम के हैं सभी सामान दबंग कैदी नहीं खाते हैं जेल का खाना बेउर जेल में बंद दबंग कै दी जेल में बना खाना नहीं खाते हैं. उनका किचेन अलग होता है. अपने वार्ड में वे लोग खाना पकाने की व्यवस्था रखते हैं.
इसका खुलासा गुरुवार को पटना पुलिस द्वारा की गई छापेमारी के दौरान हुआ. इसके लिए हीटर का प्रयोग धड़ल्ले से होता है. दर्जनों की संख्या में इस तरह के किचेन बेउर जेल के अंदर हैं.
दबंग कैदी मनचाहा व्यंजन बनवाते हैं और उसका आनंद उठाते हैं. खाना बनाने के लिए उन्हें वहां मुफ्त रसोइए भी मिले हुए हैं. उसी वार्ड में बंद कमजोर बंदी उनके लिए रसोइया का काम करते हैं. बदले में उन कैदियों को भी अच्छा खाना खाने को मिल जाता है.
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