बिहार : 40 फीसद से कम अंक वाले का मेडिकल में दाखिला क्यों नहीं
पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से जवाब मांगा है कि 40 फीसद से कम अंक वाले का मेडिकल में दाखिला क्यों नहीं दिया जाता.
पटना उच्च न्यायालय |
मेडिकल प्रवेश परीक्षा में 40 फीसद से कम अंक लाने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों का मेडिकल कॉलेज में नामांकन नहीं किये जाने के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया व बिहार संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड से जवाब मांगा है.
न्यायमूर्ति बीपी वर्मा ने तीनों को अपना जवाब 5 सितम्बर तक देने को कहा है.
साथ ही इस कोटे की 17 सीटों पर नामांकन करने पर फिलहाल रोक लगा दी है. मेडिकल कॉलेज में नामांकन नहीं किये जाने को प्रीति बरखा सहित 17 छात्रों ने चुनौती दी है.
उनकी तरफ से वरीय अधिवक्ता वाईबी गिरी ने न्यायालय को बताया कि एक बार छात्रों को सफल घोषित कर फिर से उन्हें असफल बताना न्यायसंगत नहीं है. उन लोगों को मेडिकल कॉलेजों में नामांकन करने को कहा जाय.
याचिका में कहा गया है कि उन लोगों में मेडिकल कॉलेजों की 282 सीटों पर नामांकन के लिए 18 अप्रैल को परीक्षा दी थी और उसका रिजल्ट 1 जून को निकाला गया. रिजल्ट में उन लोगों को सफल घोषित किया गया.
दूसरी काउंसलिंग के बाद 17 अगस्त को उन लोगों को कॉलेज आवंटित कर दिये गये. उसके बाद लिस्ट को संशोधित कर 19 अगस्त को फिर से रिजल्ट निकाला गया उसमें भी वे लोग सफल थे.
फिर से उस लिस्ट को संशोधित कर 22 अगस्त को रिजल्ट निकाला गया जिसमें याचिकाकर्ताओं के नाम नहीं थे. इसका कारण लिखित परीक्षा में 40 फीसद से कम अंक मिलना बताया गया था. याचिकाकर्ता ने कहा है कि जव वे एक बार सफल घोषित किये गये तो कैसे दूसरी बार असफल हो गये. उन लोगों को मेडिकल कॉलेजों में नामांकन करने का आदेश दिया जाय.
साथ ही दूसरी संशोधित सूची को निरस्त कर दिया जाय व उस नोटिस को भी निरस्त कर दिया जाय जिसमें उन लोगों के नाम नहीं हैं.
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