नीतीश के गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती

Last Updated 15 Apr 2014 10:48:38 AM IST

नालंदा संसदीय क्षेत्र के मौजूदा चुनावी महाभारत में जदयू के 18 वर्षों से अभेद्य किले को ध्वस्त करने के लिए विरोधी दल एड़ी चोटी का लगाए हैं.


नीतीश कुमार (फाइल)

जदयू के कौशलेन्द्र कुमार के समक्ष मुख्यत: राजग समर्थित लोजपा सत्यानंद शर्मा और राजद समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार तथा पूर्व पुलिस महानिदेशक आशीष रंजन सिन्हा ढाल बनकर खड़े हैं. नालंदा संसदीय क्षेत्र में अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा और हरनौत विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

इन सात विधानसभा क्षेत्रों में छह पर इस समय सत्तारूढ़ जदयू का कब्जा है जबकि एक सीट पर पिछले चुनाव में उसकी सहयोगी रही है भाजपा का कब्जा है. भाजपा समर्थित लोजपा प्रत्याशी सत्यानंद शर्मा नमो लहर पर सवार होकर नैया पार लगाने की कोशिश में है तो जदयू उम्मीदवार कौशलेन्द्र कुमार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम और राज्य को विशेष दर्जा दिलाने को लेकर जनता को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगे हैं.

नालंदा में मतदान में 17 अप्रैल को

पिछले चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में एक लाख 19 हजार नये मतदाता जुड़े है जो किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत में निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं. नालंदा संसदीय क्षेत्र में डटे 22 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला दूसरे चरण के मतदान में 17 अप्रैल को होगा.

इन 22 प्रत्याशियों में 16 प्रत्याशी विभिन्न राजनीतिक दलों से चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे है जबकि छह निर्दलीय प्रत्याशी भी हैं. आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी ई. प्रणव प्रकाश, बसपा प्रत्याशी संजय कुमार और भाजपा से बागी हुए और बतौर निर्दलीय चुनावी समर में उतरे नरेश प्रसाद सिंह भी मतदाताओं को अपने-अपने पक्ष में करने के प्रयास में जुटे हैं.

महत्वपूर्ण है कि जदयू, कांग्रेस, आप और बागी निर्दलीय एक ही बिरादरी से आते हैं. लिहाजा वोट बंटवारे में इसका सीधा फायदा एनडीए उम्मीदवार को पहुंच सकता है. यहां करीब 19 लाख 49 हजार 412 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

जातिगत वोट से एनडीए को फायदा


इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख 14 हजार 730 मतदाता है वहीं पुरुष मतदाता 10 लाख 34 हजार 682 है. पिछले चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में एक लाख 19 हजार नये मतदाता जुड़े है जो किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत में निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं.

नए युवा मतदाता और जागरूक हुए मतदाताओं के कारण इस बार न सिर्फ वोट का प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है बल्कि अंतिम समय मे मुकाबला काफी दिलचस्प भी हो सकता है. चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां एड़ी चोटी एक किए हुए है तथा राजनीतिक सरगर्मी पूरे शबाब पर है.

सुबह से हीं विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अपने अपने चुनावी अभियान में निकल जा रहे हैं. कड़ी धूप और बेतहाशा गर्मी के बावजूद गांव की गलियों और सड़कों की धूल फांक रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला होने के कारण यहां की राजनीति उन्हीं के इर्द गिर्द घूमती नजर आती रही है.

नीतीश के लिए प्रतिष्ठा का सीट

लंबे अर्से से उनके पसंदीदा प्रत्याशी चुनावी मैदान में विपक्षियों को शिकस्त देते आए हैं. भाजपा से अलग होने के बाद पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरे राजनीतिक प्रत्याशियों के लिए मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है. स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का सीट बना हुआ है.

जदयू प्रत्याशी मुख्यमंत्री द्वारा किए गए विकास कायरे को मुद्दा बना रहे हैं और जीत के प्रति आास्त दिख रहे हैं. लोजपा प्रत्यशी सत्यानंद शर्मा भी चुनाव में जदयू प्रत्याशी को धूल चटाने की बात कह रहे हैं. उनका मानना है कि नीतीश का कोई गढ़ नहीं है और नालंदा की जनता का उन्हें भरपूर समर्थन मिल रहा है.

जातिगत समीकरण की राजनीति

जदयू और लोजपा के बीच के मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं राजद समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा. वे अपने इमानदार और स्वच्छ छवि को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं और अपने लिए समर्थन मांग रहें है. राजनीतिक पार्टियां हालांकि अपने-अपने मुद्दों और सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की बात कर रही हैं लेकिन इस दौरान सभी जातिगत समीकरण पर भी उनकी गहरी नजर है.

जिले में कुर्मी जाति के करीब साढ़े पांच लाख मतदाता हैं. इसके अलावा यादव जाति के करीब 3 लाख, मुस्लिम लगभग डेढ लाख, भूमिहार लगभग सवा लाख, वैश्य लगभग एक लाख 60 हजार, अतिपिछडा के 3 लाख, राजपूत के 70 हजार, कोइरी के एक लाख मतदाता हैं.

कुर्मी बहुल यह संसदीय क्षेत्र प्रदेश के 40 सीटों में जदयू और नीतीश के लिये सबसे सुरक्षित व आसान माना जाता रहा है. यहां से लगातार तीन बार जॉर्ज फर्नांडीस सांसद हुए-दो बार समता पार्टी के टिकट पर तो एक बार जदयू के टिकट पर. स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्ष 2004 में यहां से सांसद बने और उसके बाद राम स्वरूप प्रसाद और अब निवर्तमान सांसद कौशलेन्द्र कुमार है.





 



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