रियल एस्टेट पर मंदी का असर, निवेश घटा

Last Updated 27 Dec 2013 07:51:51 PM IST

देश में जमीन जायदाद और आवास निर्माण कारोबार कठिनाइयों के दौर गुजर रहा है. रियल एस्टेट निवेश में पिछले साल के मुकाबले 6 फीसद की कमी आई है.




रियल एस्टेट पर मंदी का असर (फाइल फोटो)

जमीन जायदाद और आवास निर्माण कारोबार के समक्ष वर्ष के दौरान कई तरह की कठिनाइयां आई, जिससे इस क्षेत्र में सितंबर तक हुआ निवेश पिछले साल इसी अवधि में हुये निवेश के मुकाबले 6 प्रतिशत घटकर 14.51 लाख करोड़ रुपए रह गया.

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के ताजा अध्ययन में यह जानकारी देते हुये कहा गया है कि पिछले साल इसी अवधि में इस क्षेत्र में 15.39 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ था. इसमें कहा गया है कि नये कैलेंडर वर्ष 2014 के शुरुआती छह महीनों के दौरान भी क्षेत्र में ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं लगती.

एसोचैम अध्ययन के अनुसार वर्ष 2013 में रियल एस्टेट क्षेत्र को कई तरह की उठापटक से गुजरना पड़ा. वैश्विक और घरेलू आर्थिक क्षेत्र में निरंतर जारी आर्थिक सुस्ती, नकदी की तंगी, अस्थिर मुद्रा, ऊंची लागत, श्रमिकों की कमी, बढ़ती मुद्रास्फीति और ऊंची ब्याज दरों की वजह से इस क्षेत्र में गिरावट रही.

रियल एस्टेट में आलोच्य अवधि के दौरान सबसे ज्यादा 20 प्रतिशत निवेश महाराष्ट्र में हुआ. इसके बाद गुजरात में 13 प्रतिशत, हरियाणा में 11.2 प्रतिशत, कर्नाटक में 11.1 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 9.8 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 9.6 प्रतिशत निवेश किया गया.

सितंबर 2012 से लेकर सितंबर 2013 की एक साल की अवधि में भू-संपत्ति क्षेत्र की गतिविधियों में सबसे ज्यादा गिरावट झारखंड, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश और आंध्र प्रदेश में रहा. हालांकि, इस दौरान बिहार, जम्मू और कश्मीर, असम, ओडीशा और उत्तर प्रदेश में मकान, दुकान और फ्लैट विकसित करने में निवेश गतिविधियां बढ़ी हैं.

एसोचैम ने अगले वर्ष की संभावनाओं के बारे में भी विभिन्न डेवलपर्स से बातचीत की. उद्योग मंडल ने करीब 1,000 डेवलपर्स, रियल एस्टेट ब्रोकर्स और एजेंटों, प्रापर्टी सलाहकारों और विभिन्न कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी राय जानी. यह जानकारी अहमदाबाद, बंगलूरु, भोपाल, चेन्नई, दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ और मुंबई इन दस प्रमुख शहरों में ली गई.

अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि अगले वर्ष भी क्षेत्र में कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है. अध्ययन के मुताबिक वर्ष के शुरुआती छह महीनों के दौरान देश में अनिश्चित राजनीतिक परिदृश्य के चलते स्थिति में ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं है. अगले साल मई में आम चुनाव होने हैं ऐसे में रियल एस्टेट क्षेत्र के निवेशक प्रतीक्षा करो की नीति पर चलेंगे.

रियल एस्टेट क्षेत्र में स्थिति में तेजी से सुधार लाने के लिये एकल खिड़की सुविधा शुरू करने, जमीन जायदाद की खरीद फरोख्त के लिये स्टांप शुल्क भुगतान की तर्कसंगत व्यवस्था करने और आवास ऋण के ब्याज पर डेढ लाख के बजाय पांच लाख रुपए तक के ब्याज पर कर रियायत दिये जाने की वकालत की है. इसके अलावा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढाने के उपाय करने की भी मांग की है.



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