गजल सम्राट मेंहदी हसन की हिन्दुस्तान आने क

Last Updated 29 Mar 2009 11:33:42 AM IST


नयी दिल्ली। उम्र के आखिरी पड़ाव में अस्पताल की चारदीवारी में कैद गजल सम्राट मेहदी हसन की ख्वाहिश अपनी जन्मभूमि हिन्दुस्तान आने की है और इसके लिये उन्हें बस सरहद के आर पार माहौल के सुधरने का इंतजार है। राजस्थान के लूना में जन्में हसन नौ बरस पहले पक्षाघात के चलते मौसिकी से दूर हो गए थे। फिलहाल वह फेफड़ों के संक्रमण के कारण पिछले डेढ महीने से कराची के आगा खान यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन जल्दी ही उन्हें छुट्टी मिलने वाली है क्योंकि उनका परिवार मेडिकल बिल भरने मे असमर्थ है। उनके बेटे आरिफ हसन ने कराची से दिये इंटरव्यू में कहा वह एक बार हिन्दुस्तान आना चाहते हैं। मुंबई में एक संगठन ने उनका सम्मान समारोह रखा था लेकिन मुंबई पर आतंकवादी हमले के बाद उसे स्थगित कर दिया गया। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में हालात सुधरते ही हम उन्हें लेकर जरूर आयेंगा। ’जिंदगी में तो सभी प्यार किया करते र्हैं रंजिश ही सही’ या ‘फिर पत्ता पत्ता बूटा बूटा’ जैसी गजलों को अपनी आवाज के जादू से यादगार बनाने वाले 82 वर्षीय हसन मुफलिसी से इस कदर जूझ रहे हैं कि उनके इलाज के लिये भी पूरा बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है। आरिफ ने बताया अभी तक अस्पताल में 10-12 लाख रूपये खर्च हो चुका है। उन्हें जल्दी ही छुट्टी मिलेगी लेकिन घर पर भी चौबीस घंटे तीमारदारी की जरूरत है। हमने पाकिस्तान सरकार से भी मदद की गुहार की है। इतना महंगा इलाज बिना किसी मदद के कराने की हमारी हैसियत नहीं है। आरिफ ने बताया कि खुद लता मंगेशकर ने इलाज के लिये उन्हें मदद की पेशकश की है। मेहदी हसन की आवाज को खुदा की आवाज कहने वाली लता से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी गजल के इस बादशाह के मुरीदों में शामिल हैं। आरिफ ने बताया जब लताजी को उनकी बीमारी के बारे में पता चला तो उन्होंने मुंबई आकर इलाज कराने की पेशकश की। उन्होंने खुद सारा खर्च उठाने की भी बात कही। उनके भतीजे आदिनाथ ने हमें फोन किया था। उन्होंने बताया कि 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने भी पत्र लिखकर हसन के जल्दी ठीक होने की कामना की थी। उन्होंने भी हिन्दुस्तान सरकार की ओर से हरसंभव मदद का प्रस्ताव रखा था। आरिफ ने बताया कि उपचार के लिये वह अपने वालिद को लेकर नौ बरस पहले केरल भी गए थे। उन्होंने कहा वहीं पर आखिरी बार हसन साहब ने मंच पर गाया था। उन्होंने इसके लिये एक पैसा भी नहीं लिया था। आरिफ ने बताया कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने पिछले महीने हसन के इलाज के लिये दस लाख रूपये दिये हैं। इसके अलावा गर्वनर ने भी मदद का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि वह स्टेज शो आयोजित करके आजीविका चलाते हैं लेकिन मौजूदा माहौल में पाकिस्तान में सांस्कृतिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ी है जिसका उनकी कमाई पर भी असर पड़ा है। आरिफ ने कहा हसन साहब ने फन की सौदेबाजी नहीं की लिहाजा पैसा कभी जोड़ नहीं पाये। अधिकांश समारोहों में तो वह मुफ्त ही गाया करते थे। रिकार्डिंग कंपनियों से मिलने वाला पैसा ही आय का मुख्य जरिया था जो उस समय बहुत कम होता था। यह पूछने पर कि क्या उन्होंने कभी कोई मलाल जाहिर किया आरिफ ने कहा कभी नहीं। वह मौसिकी के अपने सफर से बेहद संतुष्ट है। शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचने पर भी उन्हें सीखने का जुनून रहा। उनका कहना था कि संगीत तो एक समंदर की तरह है जितना इसमें उतरा उतना ही अपने अज्ञान का पता चलता है।



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