शिमला में फिर जगमगाएंगे ब्रिटिश कालीन लैं

Last Updated 07 Feb 2010 02:07:13 PM IST


शिमला। किसी जमाने में शिमला को रोशन करते रहे ब्रिटिशकालीन लैंप पोस्ट एक बार फिर से जगमगाने वाले हैं, क्योंकि हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड ने इनके नवीनीकरण की योजना बनाई है। बिजली बोर्ड के वरिष्ठ अभियंता (संचालन) सुनील ग्रोवर ने बताया, ब्रिटिश काल के ज्यादातर लैंपपोस्ट बेकार पड़े हैं। करीब 200 से ज्यादा लैंपपोस्ट के नवीनीकरण की हमारी योजना है। काले या चमकीले रंग से दोबारा पुताई कराके इनमें एलईडी (लाइट इमिटिंग डायोड्स) लगाया जाएगा ताकि इनका उपयोग स्ट्रीट लाइट की तरह हो सके। एडवर्ड जे. बक की किताब 'शिमला पास्ट एंड प्रेजेंट' के अनुसार, यहां से 55 किलोमीटर दूर स्थित चाबा में स्थापित अंग्रेजों द्वारा 1.75 मेगावाट के पहले पनबिजली संयंत्र से इन लैंपपोस्ट्स में विद्युत आपूर्ति होती थी। मजेदार बात यह है कि यह संयंत्र अब भी बिजली का उत्पादन करता है, लेकिन लैंप पोस्ट्स की रोशनी गायब हो चुकी है। सुनील ग्रोवर कहते हैं, हमारा प्रयास शहर के गौरवशाली इतिहास के चिन्ह को दोबारा स्थापित करने का है। इसके अलावा ये लैंप शहर में रोशनी बिखेरने का भी काम करेंगे। एसीसी गुजरात अंबुजा सीमेंट और जेपी ग्रुप जैसे औद्योगिक घराने भी इसके लिए बिजली बोर्ड को आर्थिक सहायता देने पर राजी हैं। बिजली बोर्ड इन दिनों पूरे शहर में बिजली की बचत करने वाले एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाने में जुटा है। ब्रिटिश काल की कई ऐतिहासिक धरोहरें आज भी यहां मौजूद हैं, लेकिन बदहाली का शिकार हैं। भले ही अंग्रेजों को यहां से गए 60 साल से ज्यादा बीत चुके हों, लेकिन अपने पूर्वजों की जड़ों को जानने के इच्छुक उनके वंशजों को शिमला आज भी आकर्षित करता है। शहर में 1960 से रह रहे एम. एन. शर्मा बताते हैं कि शहर का गौरवशाली इतिहास अब बीते दिनों की बात है। पुरानी धरोहरों को संजोने के लिए ठोस प्रयास की जरूरत है।



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