जाली नोट से अर्थव्यवस्था को गंभीर खतरा:मनम

Last Updated 07 Feb 2010 05:10:46 PM IST




आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि जाली नोटों की तस्करी संबंधी सभी मामले की जांच तेजी से करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जाली नोट से अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। नई दिल्ली में रविवार को आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं जाली नोटों से संबंधित समस्या का उल्लेख करना चाहूंगा। ऐसे संकेत मिले हैं कि जाली भारतीय नोट अन्य देशों से भारत में आते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा पार से जाली नोटों की तस्करी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि जाली नोट सीमा पार से देश में पहुंचते हैं। इस समस्या निपटने के लिए राज्यों और केंद्र को समन्वित प्रयास करने होंगे। हमारी अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जाली नोटों की समस्या से निपटने के लिए केंद्र और राज्यों की एंजेसियों को समन्वित प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि जाली नोट से संबंधित किसी मामले की जांच गंभीरता से करनी चाहिए। प्रधानंमत्री ने कहा कि सुरक्षा संबंधी विभिन्न चुनौतियों से निपटा जाना चाहिए। उन्होंने आतंकवाद, नक्सलवाद और सांप्रदायिक ताकतों को देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि इनसे निपटने के लिए समन्वित प्रयासों की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी सुरक्षा संबंधी प्रमुख खतरों से वाकिफ हैं। विरोधी गुट और तत्व देश में आतंकवादी गतिविधियों का संचालित कर रहे हैं। वे हमारे देश में आतंकवादी गतिविधियां फैलाने की साजिश रच रहे हैं। जम्मू एवं कश्मीर इन गुटों की कार्रवाई का खामियाजा भुगत रहा है। प्रधानमंत्री ने जम्मू एवं कश्मीर में सीमा पार से हो रही घुसपैठ की घटनाओं पर भी चिंता जाहिर की लेकिन उन्होंने कहा कि राज्य नें आतंकवादी घटनाओं में 'उल्लेखनीय गिरावट' आई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2008-2009 में जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई लेकिन घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी हैं। जम्मू एवं कश्मीर की कुछ घटनाएं परेशान करने वाली हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुंबई में वर्ष 2008 में हुए आतंकवादी हमलों को ध्यान में रखते हुए देश में तटीय सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले ने हमें तटीय सुरक्षा और मजबूत बनाने के लिए सचेत कर दिया है। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय तटीय सुरक्षा समिति गठित की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि समिति ने 7,516 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र में गश्त बढ़ाने के संबंध कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि समिति तटीय इलाकों में सुरक्षा के लिए विभिन्न एजेंसियों से समन्वय कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सितंबर 2010 तक तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए बायोमेट्रिक बहुउद्देशीय पहचान पत्र जारी किए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि नावों के पंजीकरण की प्रक्रिया में तेजी आई है। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, नक्सलवाद और सांप्रदायिक ताकतों को देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि इनसे निपटने के लिए समन्वित प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकारों से इनसे दृढ़ संकल्प से निपटने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अत्यंत सतर्कता तथा केंद्र व राज्य सरकारों के निरंतर और समन्वित प्रयासों की जरूरत है। हमें समय-समय पर प्रणालियों की समीक्षा और देश व नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। प्रधानमंत्री ने जम्मू एवं कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद, जनजातीय बहुल इलाके में नक्सली हिंसा और सांप्रदायिक ताकतों को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में उग्रवाद और हिंसक घटनाएं हो रही हैं। कई राज्य नक्सलवाद से प्रभावित हैं, जिन्हें उन्होंने पहले भी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा करार दिया था। उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज को सांप्रदायिक और क्षेत्रीय आधार पर बांटना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सभी खतरों से निपटने के लिए दृढ़ संकल्प और सतत निगरानी की जरूरत है। हमारे समाज के लिए इन खतरों से हमें हर कीमत पर निपटना होगा।



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