ब्रिटेन से वीजा न मिलने से छात्रों का भविष्
Last Updated 02 Feb 2010 04:08:24 PM IST
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चंडीगढ़। ब्रिटेन द्वारा भारतीय छात्रों के लिए वीजा पर अस्थायी रोक लगाने के निर्णय से सैकड़ों छात्रों का भविष्य और पैसा दांव पर लग गया है। इनके शिक्षण शुल्क की वापसी की संभावना बहुत कम है। इससे इन्हें लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा।
ब्रिटिश उप उच्चायुक्त निजेल कैसी ने कहा कि प्रवेश प्रक्रिया कॉलेज और छात्र के बीच का मामला है। हम इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते। हालांकि हमें उम्मीद है कि कॉलेज इन हालातों को समझेंगे लेकिन हम इसमें कोई भूमिका अदा नहीं कर सकते। चंडीगढ़, जालंधर और नई दिल्ली केंद्रों पर अक्टूबर से दिसंबर 2009 के बीच वीजा आवेदनों की संख्या में दस गुना वृद्धि दर्ज की गई। इसे देखते हुए सोमवार से इस पर अस्थायी निलंबन की प्रक्रिया को लागू कर दी गई।
पिछले साल इन केंद्रों पर इस अवधि में 13,500 आवेदन पत्र आए, जबकि 2008 और 2007 में यह संख्या क्रमश: 1,800 और 1,200 थी। कैसी ने बताया कि इस माह के अंत तक हम स्थिति की समीक्षा करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ एजेंट छात्रों को वीजा के माध्यम से स्थायी आवास का झांसा देते हैं, जो कि पूरी तरह गलत है।
आधिकारिक दस्तावेजों से पता चलता है कि ब्रिटेन के लिए सबसे ज्यादा वीजा आवेदन भारत से होता है। एक छात्र हेमंत मुद्गल ने कहा कि मैंने मार्च 2009 में लंदन के एक कॉलेज में प्रवेश लिया। मुझे प्रस्ताव पत्र दिया गया और मैंने शिक्षण शुल्क भी जमा किया। अब इस निर्णय से मुझे वीजा मिल पाने की उम्मीद बहुत कम है।
एक दूसरे छात्र मनीष शर्मा बताते हैं, मुझे 15 फरवरी को वीजा के लिए साक्षात्कार हेतु बुलाया गया था। इस घोषणा से लगता है कि अब मुझे समय से वीजा नहीं मिल पाएगा। अब मेरा पैसा कॉलेज में फंस गया है। अगर मैं इसकी वापसी के लिए आवेदन करता हूं, तो कॉलेज के नियमों के मुताबिक मुझे भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
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