गंगा को स्वच्छ रखने के लिए आधुनिक सीवेज संय&#

Last Updated 31 Jan 2010 02:42:59 PM IST


हरिद्वार। गंगा को स्वच्छ रखने और दो करोड़ 70 लाख लीटर प्रदूषित जल का उपचार करने की क्षमता वाला एक आधुनिक संयंत्र जल्द ही यहां काम करने लगेगा। कुंभ मेला 2010 की तैयारियों के हिस्से के तौर पर इस परियोजना को शुरू किया गया है। यह स्वचलित संयंत्र 21 करोड़ रूपये की लागत का है। इसमें गंगा को प्रदूषण मुक्त सुनिश्चित करने के लिए विश्व की सबसे आधुनिक चक्रीय प्रदूषक उपचार पद्धति का उपयोग होगा। गौरतलब है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने हाल के अध्ययन में कहा था कि गंगा के जल की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है। जीसीईपीएल के साथ यूपीएल इनवायर्नमेंटल इंजीनियर्स नामक फर्म इस परियोजना का संचालन कर रही है। यूपीएल इनवायर्नमेंटल इंजीनियर्स के महाप्रबंधक (परियोजना) हरीश करकेरा ने कहा कि सीवेज का उपचार करने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं। सरकार की पाइपलाइन से सीवेज का जल जैसे ही यहां आयेगा हम इसका उपचार करना शुरू कर देंगे। यह संयंत्र मुख्य हरिद्वार शहर से करीब 20 किलोमीटर बाहर है। यह संयंत्र पहले से कार्यरत एक करोड़ 80 लाख लीटर सीवेज जल उपचार क्षमता वाले संयंत्र के आगे स्थित है। देहरादून स्थित पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट ने हाल में एक सर्वे किया था जिसके मुताबिक अनुपचारित अपशष्टि पदार्थों और प्रदूषकों को विभिन्न नालों के माध्यम से सीधे नदी में लगातार प्रवाहित करने से गंगा प्रदूषित हो रही है। करकेरा ने कहा कि परियोजना का निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो चुका है और प्रदूषित जल को संयंत्र से जोड़ने का काम अभी जारी है। जो कुछ भी काम बचा है वह तुरंत पूरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि संयंत्र में सी-प्रौघोगिकी का उपयोग होता है। चक्रीय प्रदूषकों के उपचार के संबंध में यह विश्व की सबसे आधुनिक तकनीकों में से एक है। यह पूरी तरह से स्वचालित और कंप्यूटर परिचालित है। इस प्रक्रिया में 50 फीसद बिजली कम लगती है और इसके निकास की विशेषता है कि यह पारंपरिक प्रणालियों से छह गुना बेहतर है। गंगा करोड़ों लोगों की जीवनरेखा है। यह उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से होते हुए बांग्लादेश की आ॓र पूर्व की दिशा में बहती है। गंगा अत्यधिक प्रदूषित नदियों में शुमार है। इसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार ने अप्रैल 1985 में गंगा कार्य योजना शुरू की थी। सरकार ने विश्वास व्यक्त किया है कि 2020 तक गंगा को प्रदूषण मुक्त कर ली जाएगी। अभी तक इस कार्य योजना में 15 हजार करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं।



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