उचित पीआईएल के लिए दिशानिर्देश जारी

Last Updated 20 Jan 2010 09:10:26 PM IST


नयी दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने अनुचित जनहित याचिकाओं (पीआईएल) में उचित जनहित याचिका की पहचान करने के लिए उच्च न्यायालयों को आठ सूत्री व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही अदालत ने उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में एक अनुचित पीआईएल दायर करने के लिए वहां के एक वकील पर 100,000 रुपये का जुर्माना कर दिया है। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति मुकुंदकम शर्मा की पीठ ने कहा कि अदालतों को उचित और प्रामाणिक पीआईएल को हर हाल में प्रोत्साहित करना चाहिए और उन पीआईएल को दरकिनार कर देना चाहिए जिन्हें अनुचित परिणामों के लिए दायर किया गया हो। इसके साथ ही अदालत ने नैनीताल के वकील बलवंत सिंह चौफाल पर एक लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया। सिंह ने राज्य के महाधिवक्ता एलपी नैथानी की 2001 में की गई नियुक्ति पर सवाल खड़े करने की गुस्ताखी की थी। पीठ ने बलवंत सिंह के उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में दायर की गई पीआईएल को खारिज करने का आदेश देते हुए कहा, ‘जनहित याचिकाओं पर विचार करने के लिए प्रत्येक न्यायाधीश अपनी व्यक्तिगत प्रक्रिया अपनाएं, इसके बदले उचित यह होगा कि प्रत्येक उच्च न्यायालय उचित पीआईएल को प्रोत्साहित करने तथा गलत इरादों से दायर की गई पीआईएल को दरकिनार करने के लिए ठीक से नियम बनाए।‘ अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों को कहा है कि उचित और अनुचित पीआईएल में अंतर स्पष्ट करने के लिए उन्हें तीन महीनों के भीतर अपने नियम बना लेने चाहिए।



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