उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित मनकामेश्वर मंदिर के भगवान शंकर का श्रंगार राष्ट्रध्वज तिरंगे से हुआ। स्वतंत्रता दिवस में भगवान पर भी आजादी का रंग चढ़ गया है।
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मंदिर प्रशासन का मानना है कि राष्ट्र रक्षा के लिए सदियों से संघर्ष करते चले आ रहे संत मुनियों ने सदैव ही राष्ट्र के निर्माण का कार्य किया है। राष्ट्र आराधना का यह व्रत अनंत काल तक चलाने के लिए सभी देवी देवताओं का श्रृंगार राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर राष्ट्रध्वज से होना चाहिए।
मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्या गिरी ने विशेष बातचीत में बताया, "भारत के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिवस आज है। मन की स्वतंत्रता के लिए तिरंगे के रंग बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। तीनों रंग का प्रयोग भगवान शिव के पूजन में होता रहता है। सवान में हरा रंग का बेल पत्र और केसरिया रंग के फूल और सफेद रंग के भष्म से पूजा होती है। तीन रंगों को मंदिरों में हमेशा से प्रयोग होता रहता है।"
उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्थान ने इस पर्व को अच्छे मनाने के लिए यह एक संदेश दिया है। संत महंत पुजारी इस पर्व को और भव्यता के साथ मनाएं, इसी कारण इसका श्रृंगार तिरंगे से किया गया है। आने वाले श्रद्घालु भी इससे शिक्षा लेंगें, वह भी अपने राष्ट्रीय पर्व का महत्व समझेंगे। इस कोरोना काल में हमारे मंदिर में दो गज की दूरी के साथ राष्ट्रगान का भी आयोजन किया गया है।
मंहत ने कहा कि 15 अगस्त या 26 जनवरी जिस प्रकार सारे संस्थान मनाते है। वैसे ही धार्मिक लोग संत, महंत और अन्य लोगों को भी बड़े उल्लास के साथ मनाना चाहिए। राष्ट्रीय पर्वो का इतिहास में बहुत महत्व है। भारत ने काफी कुर्बानियां देकर इस आजादी को प्राप्त किया है। अपने देश के गौरव के लिए ऐसे त्यौंहारों को हमेशा बढ़-चढ़कर मनाना चाहिए।
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