विश्वविद्यालय बताएगा तर्पण व पार्वण श्राद्ध की बारीकियां, करें एक क्लिक

Last Updated 30 Aug 2019 12:25:08 PM IST

कम्प्यूटर और मोबाईल फोन को खोलकर एक क्लिक कीजिए और चले जाइये कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर जहां आपको वैदिक विधि-विधान से तर्पण एवं पार्वण श्राद्ध करने के सभी तौर-तरीकों की जानकारी मिल जाएगी।


प्रतिकात्मक फोटो

देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शुमार कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ने भारतीय संस्कृति की संरक्षा एवं यहां की अलौकिक सभ्यता के संवर्धन के साथ-साथ पितरों के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए तर्पण एवं पार्वण श्राद्ध (बरसी) करने के शास्त्रीय स्वरूप को आमजनों के बीच सरल बनाने व समझाने का एक वृहत फैसला लिया है।
   
विश्वविद्यालय मुख्यालय के दरबार हॉल में आठ एवं नौ सितम्बर को दो दिवसीय एक नायाब कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इस मौके पर विद्वानों द्वारा यह बताने का भरपूर प्रयास किया जाएगा कि तर्पण एवं पार्वण कैसे किया जाय यानी किस किस विधि से यह श्राद्ध कर्म करना श्रेष्ठकर होगा। इस बात पर विशेष जोर होगा कि श्राद्ध कर्म क्यों जरूरी है और आखिर पितरों की याद में इस कर्म के जरिये उन्हें कैसे श्रद्धांजलि दी जाय।
   
विश्वविद्यालय के जन सम्पर्क पदाधिकारी निशिकांत ने बताया कि 14 सितम्बर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है जो 28 तक रहेगा। इस तिथि के दौरान ही अमूमन सभी पितरों का तर्पण एवं पार्वण श्राद्ध कर्म अर्पित करते हैं लेकिन शास्त्रीय अनभिज्ञता एवम कर्मकांड के असली जानकारों का अभाव इस पुनीत कार्य में बहुत बड़ा बाधक बन गया है। इसी समस्या को देखते हुए शास्त्रीय निदान निकलने लिए विश्वविद्यालय ने दो दिवसीय सार्वजनिक कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया है।
 
श्री निशिकांत ने बताया कि कार्यशाला से उम्मीद की जा रही है कि सांस्कृतिक एवं शास्त्रीय लाभ उठाकर हर कोई अपने पितरों को नए सिरे से याद कर पाएंगे और उन्हें श्रद्धांजलि दे पाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित कार्यशाला की खासियत यह रहेगी कि कार्यक्रम में सभी वैसे बुद्धिजीवी भाग ले सकते हैं, शिरकत कर सकते हैं जो तर्पण व पार्वण श्राद्ध के साथ साथ एकोदिष्ट श्राद्ध की भी सुगम व सरल विधि को जानना व समझना चाहते हों।


      
पदाधिकारी ने कहा कि कार्यशाला के दौरान लोग विद्वानों से सवाल भी कर सकते हैं। उन सभी अनसुलझे प्रश्नों का जवाब भी पा सकेंगे जो वर्षों से उनके दिलों-दिमाग मे उमड़ - घुमड़ रहे हैं। विद्वतजन सभी जिज्ञासाओं को शांत करेंगे। सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए बहुत ही हर्ष का मौका रहेगा कि कार्यशाला में विधिवत प्रायोगिक तरीके से होने वाले सभी शास्त्रीय एवं लौकिक विधानों और प्रक्रियाओं की लाईव वीडियोग्राफी करायी जाएगी और उसे विश्वविद्यालय के वेबसाईट एवं यू-ट्यूब पर अपलोड भी किया जाएगा ताकि इसके सहारे भी लोग कर्मकांडों का सुचारू रूप से निष्पादन कर सके। ऐसा करने के पीछे सोच यह भी है कि तर्पण व पार्वण श्राद्ध के विधानों को आसानी से व्यापकता दी जाय और इस निमित्त उठ रही आशंकाओं को भी हल किया जाय।
    
वहीं, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सर्वनारायण झा ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला आयोजित करने के पीछे सिर्फ और सिर्फ यही मकसद है कि तर्पण एवं पार्वण को लेकर आमजनों को हो रही शास्त्रीय परेशानियों को दूर किया जाय। सभी लोग अपने अपने पितरों को से श्रद्धांजलि दे सके, बस यही विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक प्रयास है।

वेबसाईट पर अपलोड सभी सरल नियमों को समझ-बूझ कर कोई भी पितरों को कहीं भी तर्पण अर्पित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे स्नातकोत्तर के सभी विद्वान सक्षम एवं काबिल हैं। इसलिए, कार्यशाला से सभी को लाभ लेना चाहिए।

 

वार्ता
दरभंगा


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