श्रीलंका में आज भी मौजूद हैं रामायण काल के चिह्न

Last Updated 02 Dec 2016 02:16:13 PM IST

रावण की सोने की लंका तो अब नहीं रही लेकिन श्रीलंका में रावण नामक राजा अब से 5 हजार साल पहले था, इसके सबूत आज भी वहां मौजूद हैं.


(फाइल फोटो)

रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने जिस अशोक वाटिका का वर्णन किया है, वह भी मौजूद है. कोलंबो से करीब 171 किलोमीटर दूर सीतायेलिया नामक कस्बा है, जहां रामचरित मानस की एक-एक बात यहां नजर आती है.

सीता नदी के किनारे हनुमानजी के पैरों के निशान और सीताजी के बैठने वाला चबूतरा सब कुछ यहां वैसे ही है. श्रीलंका पर्यटन विभाग ने सीतायेलिया के अशोक वाटिका में भव्य मंदिर बनवाया है जिसमें भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, सीता व हनुमानजी की मूर्तियां हैं.

मंदिर के पुजारी कहते हैं कि पहाड़ का यह पांच किलोमीटर का एरिया अशोक वाटिका के नाम से जाना जाता है, जहां रावण ने सीता को रखा था. अशोक वाटिका क्षेत्र में ही पुष्पक विमान उतारने की जगह है. यहां का मौसम बेहद खुशनुमा रहता है.

सर्दियों को छोड़कर यहां गुलाबी ठंड रहती है. डॉ. विद्याधर की शोध पुस्तिका ‘रामायण की लंका’ के प्रमुख अंश में देखा जाए तो बेरामटोक (महियांगना) मध्य श्रीलंका स्थित न्यूरायेलिया का पर्वतीय क्षेत्र है. उसे रावण का हवाईअड्डा क्षेत्र भी कहा जाता है.

वेलाव्या और येलिया के बीच 17 मील लंबे मार्ग पर रावण से जुड़े तथ्य अब भी मौजूद हैं. श्रीलंका की श्रीरामायण रिसर्च कमेटी कहती है कि यहां रावण के 4 हवाईअड्डे उसानमोड़ा, युरुलोथोपा तोतूपोलोकंदा व वारियापोला हैं.

हनुमान के लंका दहन में उसानमोड़ा हवाईअड्डा नष्ट हो गया था. कमेटी ने रिसर्च में इस बात को पुख्ता किया है कि जिस लंका का जिक्र रामचरित मानस में है वही आज की श्रीलंका है. कहा जाता है कि पंजाब निवासी अशोक कैंथ की खोज के बाद पहली बार अशोक वाटिका चर्चा में आया.

उसके बाद 2007 में श्रीलंका सरकार ने भी एक रिसर्च कमेटी का गठन किया, जिसने सीतायेलिया में अशोक वाटिका के खोज की पुष्टि की. अशोक वाटिका में सीताजी के आवास से थोड़ी दूरी पर रावण की भतीजी त्रिजटा भी रहती थी.

राम-सीता मंदिर के बगल में ‘सीता’ नाम से नदी बहती है, जहां सीताजी स्नान करती थीं. मान्यता के अनुसार, उस पार के क्षेत्र को हनुमानजी ने अपनी आग लगी पूंछ से जला दिया था. उस स्थान की शिलाओं पर आज भी हनुमानजी के पैरों के निशान नजर आते हैं.

सीतायेलिया में अशोक वाटिका से कुछ दूरी पर ही रावण का महल होने की बात कही जाती है, जहां वह अपनी पटरानी मंदोदरी के साथ रहता था. यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है.

श्रीलंका में भारत की राजदूत रह चुकीं लोरानी सेनारले ने अपनी पुस्तक ‘हेअरस टूलिस्टी’ रावण पर लिखी है. उनके अनुसार 4000 वर्ष ईसा पूर्व रावण का जन्म हुआ था. स्थानीय लोगों का मानना है कि रावण सिंहली समुदाय से था. श्रीलंका में 73 फीसद आबादी सिंहली है.

सीतायेलिया में बने भव्य मंदिर में बड़ी संख्या में भारत के अलावा, मलयेशिया, इंडोनेशिया समेत अन्य हिन्दू देशों के लोग आते हैं. इधर एक दशक से श्रीलंका में भारतीय पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उसकी वजह बताई जाती है कि लोग राम-सीता और रावण के बारे में जानना चाहते हैं.

देवकी नन्दन मिश्र


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