पत्नी को पानी भरने से मना करने पर दलित ने खोद डाला खुद का कुआं
Last Updated 08 May 2016 08:48:49 PM IST
ऊंची जाति के लोगों की ओर से पानी देने से इंकार करने पर महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित विदर्भ के वासीम जिले के एक गांव में एक दलित मजदूर ने खुद से कुआं खोद डाला.
पत्नी के लिए खोद डाला कुआं |
मालेगांव तालुका के कोलम्बेर गांव के निवासी बापूराव तांजे की पत्नी को ग्रामीणों ने कुआं से पानी निकालने से मना कर दिया.
इस सामाजिक भेदभाव का बदला लेने के लिए तांजे ने अपने गांव में ही एक कुआं खोद डाला और अब इलाके की पूरी दलित आबादी की प्यास बुझा रहे हैं.
उन्होंने महज 40 दिनों में कुआं खोद डाला और पानी पाकर वह काफी खुश हैं.
विश्वास से लबरेज तांजे ने बताया कि कड़ी मेहनत के बाद जमीन के अंदर प्रचुर पानी पाकर वह खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं.
तांजे ने कहा, ‘‘मेरे परिवार सहित दूसरे लोगों ने मेरी आलोचना की लेकिन मैं प्रतिबद्ध था.’’
इस घटना की खबर तुरंत अधिकारियों तक पहुंच गई जिसके बाद वासीम के जिला प्रशासन ने तहसीलदार क्रांति डोम्बे को गांव में भेजा.
तहसीलदार ने कहा कि तांजे के काम की प्रशंसा करते हुए जिला प्रशासन ने उन्हें ‘‘प्रतिबद्धता और मजबूत इच्छाशक्ति के व्यक्तित्व’’ से सम्मानित किया.
यह पूछने पर कि क्या तांजे को सरकारी सहायता मुहैया कराई गई तो डोम्बे ने कहा कि इस तरह का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है.
बहरहाल सरकार ने दलित व्यक्ति की असाधारण उपलब्धि का संज्ञान लिया है.
यह पूछने पर कि क्या मजदूर की पत्नी को जिन लोगों ने कुआं से पानी खींचने नहीं दिया उन लोगों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई की गई है तो डोम्बे ने कहा कि उस कुएं की पहचान नहीं हो पाई है न ही उन ग्रामीणों की जिन्होंने महिला को पानी नहीं लेने दिया.
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