एक तो लड़की उस पर पांव नहीं, हौसले से बनी डॉक्टर

Last Updated 28 Feb 2016 01:06:22 PM IST

आठ साल पहले मुंबई के जोगेश्वरी में एक रेल हादसे में रोशन जव्वाद ने अपने दोनों पैर गंवा दिये थे,लेकिन फिर भी वह हिम्मत नहीं हारी.


(फाइल फोटो)

एक तो लड़की उस पर पांव नहीं. जिंदगी में धीरे धीरे अंधेरे का दखल हो रहा था, मगर हौसलों की रोशनी ने सपनों को फिर से रोशन करना शुरू कर दिया. वह एक डॉक्टर बनने जा रही है.

महाराष्ट्र राज्य मेडिकल बोर्ड से उसने एमबीबीएस परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की है. 16 अक्टूबर, 2008 को जब यह हादसा हुआ था, वह दसवीं कक्षा में पढ़ती थी. उस समय उसने 92 फीसदी अंक के साथ परीक्षा पास की थी.

नियमों के मुताबिक, 70 फीसदी विकलांगता से ज्यादा होने पर मेडिकल की पढ़ाई नहीं की जा सकती है. मगर, भीड़ के धक्के से ट्रेन की चपेट में आने के बाद रोशन 88 फीसदी तक विकलांग हो चुकी थीं. मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद भी जब उसे प्रवेश नहीं मिला तो उसने इस नियम को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी. जहां उसे मेडिकल की पढ़ाई करने का न्याय मिला.

कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से कहा,'जब यह लड़की सुनवाई के लिए कोर्ट आ सकती है तो यह अपनी पढ़ाई के लिए हर रोज कॉलेज भी आ सकती है. इसकी विकलांगता को आप राह का रोड़ा न बनने दें. इसे मेडिकल कॉलेज में एडिमशन दें.

23 साल की रोशन के पिता पश्चिमी उपनगर में सब्जी का ठेला लगाते हैं. वह बेटी की इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं.



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