यहां हवाई जहाज से भी महंगा बैलगाड़ी का किराया
Last Updated 20 Jan 2016 06:16:55 PM IST
बैलगाड़ी के छह किलोमीटर लंबे सफर के लिए हवाई जहाज के किराये से भी ज्यादा रकम चुकानी पड़ती है यहां.
हवाई जहाज से भी महंगा बैलगाड़ी का किराया |
बैलगाड़ी के छह किलोमीटर लंबे सफर के लिए अगर आपसे किराए की बात की जाए तो बिना दिमाग पर जोर दिए आप 20-30 या अधिकतम 50 रुपये कह सकते हैं लेकिन अगर यह किराया पांच से छह हजार बैठता हो तो एकबारगी आप सोचने पर जरूर मजबूर हो सकते हैं.
सुनने में अटपटी लगने वाली यह बात मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में सच होती दिखती है जहां बिबरोड गांव के प्रसिद्ध जैन मंदिर तक बैलगाड़ी से पहुंचने के लिए लोगों को दिल्ली से इंदौर तक हवाई जहाज के किराये से भी ज्यादा रकम चुकानी पड़ती है.
यह वाक्या साल में एक दिन ही देखने को मिलता है जब पूस माह की अमावस्या के दिन भारी संख्या में जैन श्रद्धालु रतलाम के बिबरोड गांव में स्थित प्रसिद्ध स्वामी ऋषभ देव मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.
मान्यता है कि मंदिर तक बैलगाड़ी से पहुंचने पर परिवार में खुशियां और समृद्धि आती है और सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
बीते नौ जनवरी को अमावस्या के दिन रतलाम और मध्यप्रदेश के साथ ही देशभर से 30 से 40 हजार श्रद्धालु ऋषभदेव मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचे, सुबह पांच बजे से नौ बजे तक मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा.
3 हजार रुपये बैलगाड़ी का किराया देकर परिवार के साथ मंदिर पहुंचे रीतेश मेहता ने कहा, ''भले ही मेरे पास अपना वाहन हो लेकिन मैं और मेरा परिवार बैलगाड़ी से मंदिर पहुंचा, इससे हमारे परिवार में समृद्धि आती है.''
मेहता के अनुसार रतलाम और अन्य नजदीकी जिलों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु हर साल ऋषभदेव मंदिर आते हैं और इसके लिए पूर्व में ही बैलगाड़ियों को बुक कर लेते हैं.
रतलाम के सामाजिक कार्यकर्ता महेन्द्र गाडिया कहते हैं कि बीते कुछ समय में क्षेत्र में बैलगाड़ियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, ज्यादातर श्रद्धालु यहां आने से पूर्व ही बैलगाड़ी बुक कर लेते हैं जिससे उन्हें दिक्कत न हो, दो या तीन सदस्यों का छोटा परिवार छोटी बैलगाड़ी बुक करता है जिसका किराया लगभग दो हजार और बड़ा परिवार बड़े पहियों वाली बैलगाड़ी बुक करता है जिसका किराया पांच से आठ हजार रुपये बैठता है.
गड़िया बताते हैं लोग इस छोटी दूरी के सफर के लिए इतनी रकम खर्च करने से भी बिल्कुल पीछे नहीं हटते हैं क्योंकि ये उनके विश्वास और श्रद्धा से जुड़ा मामला है, इससे क्षेत्र के किसानों और बैलगाड़ी चालकों को भी अच्छा रोजगार मिल जाता है, वे एक दिन में ही 8 से 12 हजार रुपये तक कमा लेते हैं, बाकी उनके द्वारा लगाए गए चक्करों पर निर्भर करता है.
एक बैलगाड़ी चालक कमल गावली कहते हैं कि वे अपनी बैलगाड़ी से 12 किलोमीटर के ये दो चक्कर ही मारते हैं, ज्यादा चक्कर लगाकर वह अपने बैलों को परेशान नहीं करना चाहते.
खेती का काम करने वाले कमल के अनुसार एक दिन में मिलने वाली इस रकम से उनका काफी खर्चा निकल जाता है उनके बच्चों की फीस के अलावा घर की जरूरतों के लिए सामान भी आ जाता है, कमल बताते हैं कि क्षेत्र में इस समय 500 से ज्यादा बैलगाड़ियां हैं जो इस एक दिन का इंतजार करती हैं.
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