तांत्रिक विधा के मंडूक तंत्र पर आधारित है मेढ़क मंदिर
उत्तर प्रदेश के खीरी मे शहर से बारह किलोमीटर दूर सीतापुर रोड पर स्थित ओयल कस्बे मे प्राचीन शिवालय बना हुआ है जो मेढ़क मंदिर के नाम से विख्यात है.
मेढ़क मंदिर (फाइल फोटो) |
सम्पूर्ण भारत वर्ष मे एक मात्र तांत्रिक विद्या के मंडूक तंत्र पर आधारित इस मंदिर का निर्माण 1860 के आस पास ओयल स्टेट के राजा बख्श सिंह ने करवाया गया था. इसी कारण मंदिर के निर्माण मे सबसे पहले मेढ़क की विशालकाय आकृति बनाई गई. इसके बाद इसी मेढ़क की पीठ पर लगभग चार मंजिल की ऊंचाई पर भगवान शिव का नर्मदेर शिवलिंग अष्टकोणीय कमल के भीतर स्थापित है.
यहीं ऊपर शिव दरबार के बाहर एक कुंआ भी है. भक्तगण इसी कुएं से जल भरकर इतनी ऊंचाई पर स्थित शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं जो मेढ़क के मुंह से बाहर आता है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थापित शिवलिंग दिनभर मे तीन रंग बदलता है. प्रात:, अपरान्ह व सायं काल मे शिवलिंग के बदले हुए रंग देखे जा सकते है.
इसी मंदिर के शिखर पर लगभग 22 किलो वजनी सोने से निर्मित एक चक्र स्थापित है जो सूर्य की दिशा के अनुसार घूमता रहता था तथा इसकी छाया मंदिर के बाहर स्थित प्रांगण मे पड़ती थी जिससे समय का अनुमान लगाया जाता था, अब यह चक्र आधा टूट चुका है.
वैसे तो वर्ष भर यहां भक्तो का तांता लगा रहता है लेकिन श्रावण मास मे शिवभक्तों की संख्या में यहां काफी इजाफा हो जाता है. इस मंदिर के दर्शनार्थ दूर दराज से पर्यटक तथा श्रद्धालु यहां आकर शिव कृपा प्राप्त करते रहते है.
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