जस्को प्लास्टिक के कचरे से बना रही है सड़कें
प्लास्टिक कचरे का निपटान अब इस्पात शहर जमशेदपुर के लिए कोई समस्या का विषय नहीं है.
प्लास्टिक के कचरे से बना रही सड़कें (फाइल फोटो) |
जमशेदपुर यूटिलिटी एंड सर्विसेज कंपनी (जस्को) सड़क निर्माण के लिए प्लास्टिक की थैलियों से लेकर बिस्किुट के पैकेट तक का उपयोग प्लास्टिक पर बीटूमेन प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही है.
नयी अलकतरा प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसका विकास मदुरै के एक इंजीनियरिंग कालेज ने किया है.
जस्को, टाटा स्टील की 100 प्रतिशत अनुषंगी है जो इस शहर में टाटा कंपनी के कमान क्षेत्र में आने वाले इलाकों में स्थानीय निकाय की सेवाएं प्रदान करती है. उसने
प्लास्टिक के कचरे का उपयोग कर पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी के जरिए इस्पात शहर और टाटा स्टील वर्क्स में 12-15 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया है और 22 सड़कों को चौड़ा बनाया है.
जस्को के वरिष्ठ प्रबंधक (गुणवत्ता आासन) गौरव आनंद ने आज यहां कहा ‘‘जहां तक हमें पता है, जमशेदपुर पूर्वी भारत का इकलौता शहर है जहां बीटूमेन (अलकतरा) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल पहली बार जमा हुए प्लास्टिक के कचरे पर लागू किया गया है.’’ इस प्रौद्योगिकी का पेटेंट मदुरै स्थित तिरप्परणकुरम के त्यागराजार कॉलेज आफ इंजीनियरिंग (टीसीई) के पास है.
पर्यावरण इंजीनियर, आनंद ने दावा किया कि पहले पांच साल तक ऐसी सड़कों के रख-रखाव की कोई लागत नहीं होती. ऐसी एक किलोमीटर लंबी और चार मीटर चौड़ी सड़क के निर्माण में एक टन बीटूमेट की बचत होती है जिसकी लागत 50,000 रुपए है.
उन्होंने कहा कि जस्को ने जब से सड़क निर्माण में प्लास्टिक के कचरे का इस्तेमाल शुरू किया है बीटूमेन का उपयेग सात प्रतिशत कम हो गया है. इस प्रौद्योगिकी के कारण सड़कों की गुणवत्ता और उम्र बीटूमेन सड़क के मुकाबले दोगुनी हो गई.
Tweet |