कैंसर से जूझ रहे बच्चे का वायुसेना वे पूरा किया सपना, बनाया फाइटर पायलट
भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट बनना किसी भी के सबसे खूबसूरत सपनों में से एक होता है.
एक दिन का फाइटर पायलट |
नौ वर्षीय चंदन हड्डियों के कैंसर से जूझ रहा है. 20 बार कीमो थैरेपी झेलने के बावजूद इस नन्हीं जान में फाइटर पायलट बनने का हौसला जिंदा है. बाल दिवस से पहले 11 नवंबर को वायुसेना ने उसके हौसलों को उड़ान देते हुए एक दिन का फाइटर पायलट बनाया. तीन साल पहले बिहार के समस्तीपुर से इलाज के लिए चंदन के माता-पिता उसे एम्स लाए थे. आसमान में उड़ते हवाई जहाज देख उसकी आंखों में पायलट बनने का सपना जिंदा हो जाता. ऐसे में मां ने बेटे की ख्वाहिश, एक पत्र के माध्यम से वायुसेना को बताई. इसमें उदय फाउंडेशन ने मदद की. वायुसेना ने गत मंगलवार अंबाला में चंदन को पायलट की वर्दी पहनाई. उसे सलामी दी गई और प्लेन में बैठाकर सपना हकीकत में बदल दिया. मास्टर चंदन ने अब तक जिस जगुआर फाइटर एयरक्राफ्ट को आसमान में उड़ाने भरते देखा था, उसमें वह न सिर्फ बैठा बल्कि उड़ाने का प्रशिक्षण भी लिया. वायुसेना ने उसकी हसरत पूरी करते हुए एयरक्राफ्ट के संचालन से लेकर उड़ान की तमाम बारीकियां बताईं. इन पलों को उसने अपने जन्मदिन का तोहफा बताया. कैंसर से ग्रस्त चंदन का 13 नवंबर को जन्मदिन था. वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जगुआर के कॉकपिट (सीट) पर बैठकर वह बहुत खुश था. हमने उड़ाने की विधि के बारे में विस्तार से बताया. उधर, चंदन ने अपने अनुभव के बारे में कहा कि मेरा सपना सच हुआ. अधिकारियों ने उसे सेना के संग्रहालय भी घुमाया. उदय फाउंडेशन के संचालक राहुल वर्मा का कहना है कि चंदन अपनी ख्वाहिश पूरी होने से बेहद खुश है. चंदन की मां कहती है कि वह हमेशा कहता था कि मैं पायलट बनूंगा लेकिन बीमारी के बाद हम इस बात की उम्मीद पूरी तरह गंवा चुके थे. वायुसेना ने उसका सपना पूरा कर हमें एक नई उमंग दी है.
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