इकोसिस्टम के लिए घातक है LED

Last Updated 19 Oct 2014 10:27:33 AM IST

भौतिकी के क्षेत्र में बल्ब ‘एलईडी’ के आविष्कारकों को बीते सप्ताह नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है लेकिन क्या आप जानते हैं ये एलईडी बल्ब घातक भी है.


एलईडी

साधारण बल्ब की तुलना में इक्रोफ्रैंडली एलईडी बल्ब 50 फीसद कीड़ों को अपनी ओर अधिक आकर्षित करता है. इसकी चपेट में आकर अधिक कीट पतंगे मरते हैं. कीट पतंगों का अधिक संख्या में मरना ‘इकोसिस्टम’ के लिए घातक है.

1990 में एलईडी बल्ब का आविष्कार करने के लिए भौतिकी का नोबेल इसामू अकासाकी ‘जापान’, हिरोशी अमानो ‘जापान’ और शूजी नाकामूरो ‘अमेरिका’ को संयुक्त रूप से देने की घोषणा की गई है.

एलईडी बल्ब को ‘इकोफ्रैंडली’ कहा जाता है. इसका कारण यह है कि आम बल्ब की तुलना में 90 फीसद कम बिजली की खपत करता है.

एलईडी बल्ब एक लाख घंटे चलता है जबकि साधारण ‘टंगस्टन’ बल्ब एक हजार घंटे चलता है. लेकिन न्यूजीलैंड स्थित सिकोन इंस्टीट्यूट के नवीनतम शोध के अनुसार पारंपरिक बल्ब से पीला या सफेद प्रकाश निकलता है जबकि एलईडी बल्ब से नीला प्रकाश भी निकलता है.

नीले प्रकाश के कारण 48 फीसद अधिक कीट पतंगे एलईडी की ओर आकर्षित होते हैं. इसके चलते आसानी से शिकारियों ‘चमगादड़, छिपकली आदि’ के शिकार बन जाते हैं.

लिहाजा एलईडी के कारण अधिक कीट पतंगे मर रहे हैं. कीट पतंगों के इतनी अधिक संख्या में मरने से ‘फूड चेन’ पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई गई है.

विशेषज्ञों ने एक खतरा यह भी जताया है कि बंदरगाहों के करीब एलईडी लगाने पर अन्य देशों से पोत के जरिए दुर्घटनावश आए कीट पतंगे संबंधित देश में फैल सकते हैं.
 

 



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