हवा से कार्बन डाईऑक्साइट सोखकर ग्लोबल वार्मिंग से बचाती हैं चींटियां
क्या आप जानते हैं कि चींटियों ने करोड़ों साल पहले अपनी उत्पत्ति के बाद से हवा से कार्बन डाईऑक्साइट को सोखा है.
कितनी मददगार ये चींटियां (फाइल फोटो) |
जी हां,एक चींटी का जीवन एक साल से अधिक का नहीं होता. लेकिन जैसे-जैसे उसकी संख्या बढ़ती है, वैसे वैसे वह वातावरण को ठंडा करने में मदद करती है.
चींटी हमें ग्लोबल वार्मिग से बचा सकती है. एक शोध के मुताबिक, चींटियों ने 6.5 करोड़ साल पहले अपनी उत्पत्ति के बाद से बड़ी मात्रा में हवा से कार्बन डाईऑक्साइट को सोखा है.
टेंप शहर में स्थित अरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय के एक भूगर्भशास्त्री रोनाल्ड डॉर्न ने कहा कि चींटियां पर्यावरण को बदल रही हैं. डॉर्न ने पाया कि चींटियों की कुछ प्रजाति खनिज में हवा को सोख कर कैल्शियम कार्बोनेट या लाइमस्टोन बनाने में मदद करती है.
लाइमस्टोन बनाने की प्रक्रिया में चींटी हवा से कार्बन डाईऑक्साइड की कुछ मात्रा घटा देती है.
अध्ययन दल ने यह भी पाया कि चींटियां बेसाल्ट पत्थर के टूटने में भी मदद करती है. उनके मुताबिक, बेसाल्ट पत्थर को यदि खुले में छोड़ दिया जाए तो जितने समय में यह टूट-फूटकर मिट्टी में मिल जाएगा, चींटियां यह काम 50 से 300 गुणा अधिक तेजी से कर सकती हैं.
डॉर्न ने कहा कि चींटियां खनिज से कैल्शियम और मैग्नीशियम निकाल सकती हैं और उसका उपयोग लाइमस्टोन बनाने में करती हैं. इस प्रक्रिया में वे कार्बन डाईऑक्साइड गैस की कुछ मात्रा पत्थरों में कैद कर लेती हैं.
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