सत्ता संभालने के बाद ‘मौनेंद्र मोदी’-शासन शैली निरंकुश: चव्हाण

Last Updated 29 Jul 2014 05:40:48 PM IST

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि मोदी की शासन शैली निरंकुश है जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.


पृथ्वीराज चव्हाण (फाइल फोटो)

नरेंद्र मोदी पर सत्ता संभालने के बाद से ‘मौन’ धारण कर लेने का आरोप लगाते हुए चव्हाण ने दावा किया कि लोगों का पहले ही मोदी सरकार सरकार से मोह भंग हो गया है और उत्तराखंड उपचुनाव में कांग्रेस की जीत इस बात का संकेत है कि लोगों ने अपनी गलती का अहसास कर ली है.

चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस को मालूम था कि गुजरात चलाने की मोदी की शैली हमेशा से निरंकुश थी और चुनाव के दौरान भी पार्टी ने कहा था, ‘हमें डर है कि दिल्ली में निरंकुश सरकार होगी और अब यह दिख रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘चाहे मंत्रियों से बर्ताव की बात है, या फिर आंतरिक कोर टीम में कौन कौन है, मंत्रियों को कैसी स्वायत्तता मिली हैं (सब में निरंकुशता झलकती है).’ उन्होंने अहम मुद्दों लोगों को विश्वास में नहीं लेने या अपनी राय नहीं रखने को लेकर प्रधानमंत्री को ‘मौनेंद्र मोदी’ करार दिया.

चव्हाण ने कहा, ‘मोदी ने चुनाव के दौरान भी कोई रूख नहीं अपनाया. उन्होंने विदेशी नीति, अर्थव्यवस्था, सामाजिक विषयों या अपने पसंदीदा विषय आरएसएस, समान नागरिक संहिता, अनुच्छेद 370 और राममंदिर पर भी अपना दृष्टिकोण नहीं रखा. वह बस आए और मोदी सरकार के सपने बेच गए.’

उन्होंने कहा कि कई मुद्दों को लेकर संप्रग सरकार के खिलाफ गुस्सा था और मोदी ने अपने आप को बेचने के लिए उसका इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा, ‘और उन्होंने उत्पाद, टूथपेस्ट या साबुन की तरह अपने आप को बेचा. बेहतरीन माकेर्टिंग तरकीब, सघन विज्ञापन और सारे उपाय.’
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों ने न केवल संप्रग शासन बल्कि कांग्रेस शासन के साथ तुलना करना शुरू कर दिया है जहां मंत्रियों के कुछ निश्चित सम्मान और जिम्मेदारी थी जो अब गायब जान पड़ती है.

उन्होंने कहा, ‘कृपापात्रों का भी सवाल है जो दिल्ली में यह शो चला रहे हैं. यह लोकतंत्र के लिए बहुत अच्छा नहीं है.’

इस बात पर बल देते हुए कहा कि मोदी के सत्ता संभालने के बाद चुप्पी से उन्हें हैरानी नहीं है, उन्होंने कहा, ‘जब वह प्रचार कर रहे थे तब उन्होंने हमेशा ही ऊंची आवाज में बात की,हमारे नेतृत्व की नकारात्मक ढंग से आलोचना की.

लेकिन उनका घोषणापत्र बिलकुल ही मामूली हैं, बामुश्किल ही ऐसा कोई उल्लेख था कि ठोस रूप में वे क्या करेंगे और यह बात अब सामने आ गयी.’

चव्हाण ने कहा कि ‘दुर्भाग्य से’ मोदी ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्वजनिक रूख नहीं अपनाया. उन्होंने कहा, ‘और ट्विटर पर भी हमें नहीं मालूम यह व्यक्ति खुद ही संदेश भेजता या किसी मेधावी अधिकारी या पार्टी कार्यकर्ता से यह काम कराता है.’

उन्होंने दावा किया कि भाजपा में मेधा की कमी है. उन्होंने कहा, ‘पहले मंत्रिमंडल पर गौर कीजिए, कई लोगों को कई कई मंत्रालयों का काम दे दिया गया है क्योंकि उनके पास संसद में मेधा है ही नहीं. क्या वे संसद के बाहर से मेधा लाते हैं, यह अभी देखने की बात है.’

चव्हाण ने गुजरात अर्थव्यवस्था मॉडल पर सवाल खड़ा किया और कहा कि महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय गुजरात की तुलना में बहुत ज्यादा है.

उन्होंने कहा, ‘न केवल आर्थिक मानदंड पर बल्कि आईटी जगत की ताकत, कुपोषण के विरूद्ध संघर्ष जैसे सामाजिक पक्ष को देखिए (उस आधार पर भी महाराष्ट्र गुजरात से आगे है) विश्व कुपोषण के विरूद्ध संघर्ष के लिए उठाए गए कदमों को लेकर महाराष्ट्र का गुणगान कर रहा है और स्कूलों में भी हमारे या गुजरात की तुलना में शिक्षक: विद्यार्थी अनुपात अधिक है.’



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