विधानसभा चुनाव: न पोस्टरों की मांग, न झंडे-बैनर का जलवा

Last Updated 18 Jan 2012 05:48:11 PM IST

इस बार विधानसभा चुनावों में पोस्टर, बैनर और झंडा बनाने वालों का व्यापार ढीला चल रहा है और ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं.




देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव नज़दीक आ गए हैं. चुनावों के लिए सरगर्मियां भी बढ़ गई हैं. लेकिन सरगर्मी बढ़ने के बावजूद दिल्ली में झंडे, बैनर, टोपियां, सरोपा, बिल्ले और नेताओं के कटआउट-पोस्टर का थोक बाजार ठंडा पड़ा है.

व्यापारियों का कहना है कि चुनावी सीज़न के बावजूद उनके पास नाममात्र के
ऑर्डर आए हैं और वे भी कुछ बड़े राष्ट्रीय दलों से. छोटी पार्टियां तो आर्डर देने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही हैं. वहीं इसके अलावा बड़े पैमाने पर ऑर्डर रद्द हो रहे हैं. कुछ उम्मीदवार या उनके समर्थक ऑर्डर देने के बाद आयोग के डर से माल ही नहीं उठा रहे हैं.

सदर बाजार में कभी चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार करने वाले व्यापारियों की संख्या 50 थी, जो आज सिमटकर 15 रह गई है. व्यापारी बताते हैं कि पिछले कुछ साल में प्रचार सामग्री की मांग लगातार घट रही है. इस बार चुनाव में तो मांग न के बराबर ही रह गई है. ऐसे में बहुत से व्यापारियों ने इस काम को छोड़ कर दूसरा धंधा शुरू कर दिया है.

व्यापारी बताते हैं कि कभी चुनाव आने पर हजारों परिवारों को रोजी-रोटी का बेहतरीन अवसर मिलता जाता था. व्यापारियों को जहां धड़ाधड़ ऑर्डर मिलते थे, वहीं हजारों गरीब परिवार झंडे-बैनर बनाकर, पोस्टर चिपकाकर या जगह-जगह विभिन्न उम्मीदवारों के प्रचार बैनर टांगकर अपने के लिए कई महीनों की रोटी का जुगाड़ कर लेते थे.

मांग सीमित
जानकार बताते हैं कि चुनाव के मौके पर प्रचार सामग्री का धंधा करने वाले व्यापारी करोड़ों रुपये का कारोबार कर लेते थे, लेकिन अब धीरे धीरे यह आंकड़ा सिमटकर लाख रूपये तक आ गया है.

खुराना ने कहा कि प्रचार सामग्री की मांग काफी सीमित है. थोड़े बहुत जो ऑर्डर आ भी रहे हैं वे सिर्फ कुछ बड़ी पार्टियों के हैं. छोटे दलों की ओर से कोई ग्राहक बाजार में आ नहीं रहा.

इसी तरह एक अन्य व्यापारी अनिल भाई ने बताया कि ऑर्डर मिलने की बात तो दूर, कई उम्मीदवार आयोग की सख्ती देखने के बाद अपने ऑर्डर रद्द करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक प्रत्याशी ने तीन लाख रुपये की प्रचार सामग्री का ऑर्डर और 50,000 रुपये एडवांस दिए थे. लेकिन अब यह प्रत्याशी अपना माल उठाने ही नहीं आ रहा है.

कनफेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महासचिव देवराज बवेजा ने कहा कि चुनाव का मौका कभी समारोह जैसा होता था, लेकिन आज वैसी बात नज़र नहीं आती. लोग अपने घरों पर विभिन्न पार्टियों के झंडे लगाते थे, बच्चे बिल्ला बांट रहे प्रत्याशियों के समर्थकों के पीछे भागते थे, लेकिन अब सब बदल गया है.
 
खुराना ने कहा कि दिल्ली के व्यापारियों को पंजाब से बड़ी संख्या में ऑर्डर मिलते थे, लेकिन फिलहाल अभी तक बाजार में न तो कोई उम्मीदवार आया है और न ही कोई ऑर्डर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि बड़े राजनीतिक दल तो टीवी या अन्य माध्यमों से प्रचार कर सकते हैं, पर छोटे दलों के उम्मीदवारों के लिए यह सख्ती काफी परेशानी पैदा करने वाली है.



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