मोदी सरकार के पहले पूर्ण बजट में मिल सकती हैं कर रियायतें
वित्त मंत्री अरुण जेटली शनिवावार को वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करेंगे,यह राजग सरकार का पहला पूर्ण बजट होगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो) |
चर्चा है कि यह आरपार का बजट होगा.माना जा रहा है कि सरकार बजट में आम आदमी के अनुकूल उपायों की घोषणा कर सकती है तथा साथ ही मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढाने के प्रबंध करेगी.
आम बजट दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की करारी हार के बाद पेश किया जा रहा है. इसके अलावा इस साल बिहार विधानसभा चुनाव भी होना है. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या यह बजट लोकलुभावन होगा.
ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि वित्त मंत्री कर स्लैब बढ़ा सकते हैं या बचत उत्पादों में निवेश की सीमा में बढ़ोतरी कर सकते हैं. माना जा रहा है कि जेटली राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद :जीडीपी: के 3.6 प्रतिशत पर रखेंगे. चालू वित्त वर्ष में यह 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
व्यक्तिगत आयकरदाताओं को रियायत के अलावा वित्त मंत्री कंपनियों के निवेश को बढ़ाने के उपायों की घोषणा कर सकते हैं साथ ही वह मेक इन इंडिया अभियान के तहत विनिर्माण को प्रोत्साहन के लिए उपायों की घोषणा कर सकते हैं. इस अभियान का मकसद देश को वैिक विनिर्माण हब बनाना और रोजगार का सृजन करना है.
बजट से पहले आज संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2014-15 में कहा गया है कि इसमें एक प्रतिस्पर्धी, अनुमान योग्य, स्वच्छ तथा हलकी फुल्की कर छूटवाली व्यवस्था पेश की जानी चाहिए. इससे पूंजी की लागत घटेगी, बचत को प्रोत्साहन मिलेगा और करदाताओं के लिए अनुपालन सुगम होगा.
इसमें यह भी कहा गया है कि आगामी बरसों में वृद्धि दर को 8 से 10 प्रतिशत पर पहुंचाने के लिए जोरदार सुधारों की जरूरत होगी. इसके अलावा इसमें सार्वजनिक निवेश बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है.
जेटली ने जुलाई, 2014 में अपने पहले बजट में व्यक्तिगत आयकरदाताओं को राहत पहुंचाने का रख के बारे में कहा था. माना जा रहा है कि भाजपा सरकार के पहले पूर्ण बजट में वह अपने इस रख को जारी रखेंगे.
पिछले साल उन्होंने व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा 50,000 रपये बढ़ाकर 2.50 लाख की थी. इसके अलावा बचत पर आयकर छूट की सीमा भी 50,000 रपये बढ़ाकर 1.50 लाख रपये की थी. हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार इस बार जेटली बजट में इनमें से सिर्फ एक विकल्प चुनेंगे क्योंकि वह सार्वजनिक खर्च बढ़ाने के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाना चाहते हैं.
इसके अलावा वह स्वास्थ्य बीमा में भी कर छूट की सीमा बढ़ा सकते हैं.
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