दोहरे हत्याकांड में 28 साल बाद प्रभुनाथ दोषी करार
आरजेडी के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने 28 साल पुराने दोहरे हत्याकांड में दोषी करार दिया है। ट्रायल कोर्ट और पटना हाई कोर्ट से बरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद को गुनहगार करार दिया।
![]() आरजेडी के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह |
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की पुलिस, अभियोजन तथा जुडीशियरी की कड़ी निंदा की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन तीनों ने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया। ट्रायल कोर्ट ने आपराधिक न्याय शास्त्र के बुनियादी सिद्धांतों को ताक पर रखकर अभियुक्तों को बरी कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की डीजीपी और गृह सचिव को निर्देश दिया कि प्रभुनाथ सिंह को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। उसे एक सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाए। सुप्रीम कोर्ट सजा तय करने से पहले सीआरपीसी की धारा 235 के तहत सुनवाई करेगा।
जस्टिस संजय किशन कौल, अभय श्रीनिवास ओका और विक्रम नाथ की बेंच ने अपने फैसले में 1995 के डबल र्मडर केस में पटना हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार दिया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रभुनाथ सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। जबकि केस के बाकी आरोपियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट एक सितंबर को प्रभुनाथ सिंह की सजा पर सुनवाई करेगा जिसके लिए कोर्ट ने बिहार के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को प्रभुनाथ सिंह को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है।
प्रभुनाथ सिंह एक अन्य मर्डर केस में जेल में ही सजा काट रहे हैं।
क्या था मामला
1995 के चुनाव में छपरा के मसरख में राजेंद्र राय और दारोगा राय की हत्या इसलिए कर दी गई थी कि प्रभुनाथ सिंह के समर्थित प्रत्याशी को उनके कहे अनुसार वोट नहीं दिया था।
इस मामले में निचली अदालत और हाई कोर्ट से बरी होने के बाद मृतक के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मृतक राजेन्द्र राय की मां लालमुनि देवी और पिता राम राय का नवंबर 2006 में अपहरण कर लिया गया था।
अदालत में उनकी गवाही से ठीक पहले अपहरण की वारदात में प्रभुनाथ सिंह के भाई पर आरोप लगा। दोहरे हत्याकांड की गवाह होने के बावजूद पुलिस और अभियोजन ने लालमुनि को विटनेस के रूप में पेश नहीं किया था।
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