राष्ट्रपति मुर्मू ने एचएएल-इसरो साझेदारी की सराहना की

Last Updated 27 Sep 2022 05:09:13 PM IST

मंगलवार को एचएएल की एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण सुविधा (आईसीएमएफ) का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह न केवल एचएएल और इसरो के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईसीएमएफ का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "क्रायोजेनिक इंजन निर्माण क्षमता रखने वाला भारत दुनिया का छठा देश है। एचएएल और इसरो का गौरवशाली अतीत हमें आश्वासन देता है कि वे भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।"

आईसीएमएफ इसरो के लिए एक ही छत के नीचे पूरे रॉकेट निर्माण और असेंबली को पूरा करेगा। यह सुविधा उच्च-जोर वाले रॉकेट इंजनों के निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी।

यह सुविधा भारतीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों के क्रायोजेनिक (सीई20) और सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (एसई2000) के निर्माण के लिए 70 से अधिक हाई-टेक उपकरण और परीक्षण सुविधाओं के 4,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में स्थापित की गई है।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव एस सोमनाथ ने कहा कि भारत एचएएल की मदद से ही रॉकेट प्रौद्योगिकी में एक महाशक्ति के रूप में उभर सकता है, जिसने जटिल अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को पूर्णता के साथ अवशोषित करने की क्षमता दिखाई है।

क्रायोजेनिक इंजन दुनिया भर में अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों में सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले इंजन हैं। क्रायोजेनिक इंजन की जटिल प्रकृति के कारण, आज तक केवल कुछ देशों (अमेरिका, फ्रांस, जापान, चीन और रूस) ने क्रायोजेनिक तकनीक में महारत हासिल की है।

5 जनवरी 2014 को भारत ने क्रायोजेनिक इंजन (निजी उद्योगों के माध्यम से इसरो द्वारा निर्मित) के साथ जीएसएलवी-डी5 को सफलतापूर्वक उड़ाया और क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने वाला छठा देश बन गया। भविष्य में अंतरिक्ष की खोज ज्यादातर क्रायोजेनिक तकनीक पर निर्भर है।

आईएएनएस
बेंगलुरु


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