जिमखाना के निदेशक मंडल पर लग रहे गंभीर आरोप !
जिमखाना क्लब में आयोजित डेविस कप के आरोपियों के भाजपा कनेक्शन सामने आने के बाद मनोनीत निदेशक मंडल की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
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इस मामले में संबंधित व्यक्ति ने कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय को साफ कह दिया है कि टूर्नामेंट के लिए मिली स्पॉन्सरशिप का नौ करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा क्लब को नहीं मिलेगा। इस राशि पर क्लब का कोई अधिकार नहीं है। हैरानी की बात है कि इसके बावजूद एनसीएलटी के आदेश पर मनोनीत निदेशक मंडल कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
आरोप है कि इस मामले में पूर्व प्रशासक ओम पाठक और भाजपा के एक बड़े नेता पर लग रहे गंभीर आरोपों के बावजूद सरकारी निदेशक मंडल कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। क्लब के एक वरिष्ठ सदस्य के अनुसार डेविस कप आयोजित कराने के लिए जानबूझकर ऐसा कोई करार नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि इस मामले में क्लब की क्या भूमिका रहेगी? क्लब में आयोजित टूर्नामेंट के आयोजन पर खर्च होने वाली राशि किसकी जिम्मेदारी होगी और स्पांसरशिप के पैसे पर किसका कितना अधिकार होगा? अब जबकि पूर्व प्रशासक ओम पाठक ने कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय को पत्र लिखकर साफ कह दिया है कि स्पॉन्सरशिप की पूरी राशि पर आल इंडिया टेनिस एसोसिएशन (एआईटीए) का अधिकार है लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ है कि आयोजन के लिए पंजाब नेशनल बैंक में खोले गए खाते में पाठक को किस हैसियत से अधिकृत हस्ताक्षरी नियुक्त किया गया था जबकि पाठक उस समय मंत्रालय के प्रतिनिधि के तौर पर प्रशासक का कार्य कर रहे थे।
ओम पाठक ने कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय को लिखे पत्र में दावा किया है कि जिमखाना में आयोजित हुआ डेविस कप, एआईटीए के अधिकार क्षेत्र का मामला है। चूंकि जिमखाना पर यह आरोप था कि वह खेल के क्षेत्र में कोई खास काम नहीं कर रहा है तो उन्होंने प्रशासक के तौर पर डेविस कप, जिमखाना क्लब परिसर में आयोजित कराने में सफलता हासिल की। पाठक ने खास तौर पर मंत्रालय को यह कहा है कि डेविस कप का आयोजन एआईटीए और उसकी सहयोगी संस्था ने आयोजित किया है, जिमखाना ने तो केवल आयोजन स्थल उपलब्ध कराया था।
पाठक ने अपने पत्र में दावा किया है एआईटीए क्लब को विशेष कार्यों के लिए कुछ पैसा अनुदान के तौर पर देने के लिए सहमत है जिसके लिए जिमखाना उनसे अनुरोध कर सकता है। उन्होंने नामित निदेशक और सचिव आशीष वर्मा को यह सुझाव भी दिया है कि वह एआईटीए से अपने बकाया का भुगतान कराने के लिए दावा कर सकते हैं। इस मामले को लेकर मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में जिस नेता पर आरोप लग रहे हैं वह खुद भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं। पाठक खुद भी भाजपा की केंद्रीय अनुशासन समिति में सचिव हैं। क्लब सदस्यों में चर्चा है कि एनसीएलटी के आदेश पर भाजपा नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियुक्त किए गए निदेशक इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई कर सके।
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