जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री लावरोव से दिल्ली में की द्विपक्षीय वार्ता
विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के दौरे पर आए विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को यहां द्विपक्षीय वार्ता की। 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद से रूस के किसी शीर्ष अधिकारी की भारत की यह पहली यात्रा है। लावरोव गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचे।
![]() यशंकर ने की रूसी समकक्ष से मुलाकात |
बैठक से पहले, जयशंकर ने कहा कि उनकी बातचीत महामारी के अलावा एक कठिन अंतरराष्ट्रीय वातावरण में हो रही है। उन्होंने कहा, "भारत, जैसा कि आप जानते हैं, हमेशा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मतभेदों और विवादों को हल करने के पक्ष में रहा है।"
विदेश मंत्री ने कहा, "आज की हमारी बैठक में, हमें समसामयिक मुद्दों और चिंताओं पर कुछ विस्तार से चर्चा करने का अवसर मिलेगा। मैं अपनी चचार्ओं के लिए उत्सुक हूं।"
जयशंकर ने यह भी कहा कि 2022 हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि हम अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75 वीं वर्षगांठ को चिह्न्ति करते हैं।
उन्होंने कहा, "कोविड से संबंधित कठिनाइयों के बावजूद, पिछला साल गहन द्विपक्षीय गतिविधि में से एक रहा जिसमें उद्घाटन 2 प्लस 2 बैठक और निश्चित रूप से 21 वां वार्षिक शिखर सम्मेलन शामिल था।"
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 'नियमित संपर्क में हैं और इस साल कई मौकों पर एक-दूसरे से बात की हैं।'
"हमारे द्विपक्षीय संबंध कई क्षेत्रों में बढ़ते रहे हैं और हमने अपने एजेंडे का विस्तार करके अपने सहयोग में विविधता लाई है।"
युद्ध की शुरूआत के बाद से, भारत पर पश्चिम और उसके सहयोगियों के दबाव में रूस के खिलाफ एक मजबूत रुख अपनाने का दबाव रहा है।
चूंकि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में भारत की सैन्य क्षमताओं को भारी कीमत चुकानी पड़ी, क्योंकि परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों, ग्रिगोरोविच क्लास फ्रिगेट्स, फाइटर जेट्स, ट्रायम्फ एस-400, एके 203 असॉल्ट राइफल और अन्य जैसे कई प्लेटफार्मों की डिलीवरी में देरी होने की उम्मीद है।
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