अपने नेताओं की कीमत पर ‘मिशन ममता’ रास नहीं आ रहा कांग्रेस को
पश्चिम बंगाल में तीसरी बार सत्ता की गद्दी पर पहुंचने के बाद तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी अपने पैर राष्ट्रीय राजनीति में पसारने को पूरी तरह तैयार हैं।
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राष्ट्रीय राजनीति में अपने को स्थापित करने की रणनीति के तहत उनका अपने संगठन के विस्तार और मजबूती का कार्यक्रम चल रहा है। लेकिन इसमें निशाने पर कांग्रेश है। मिशन ममता के तहत अपने नेताओं कीमत पर तृणमूल कांग्रेस की मजबूती कांग्रेस आलाकमान को रास नहीं आ रही है।
माना जा रहा है कि लगातार कांग्रेसी नेताओं को टीएमसी में शामिल कराने की ममता बनर्जी की रणनीति से राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के खिलाफ साझा विपक्ष की मुहिम को झटका लग सकता है। पिछले कुछ समय में जिस तरह से देश के अनेक हिस्सों से कांग्रेस के नेताओं को तृणमूल कांग्रेस में शामिल किया गया उसको लेकर कांग्रेस हाईकमान नाराज है।
पार्टी के सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गठन की तर्ज की तरह ही है उस समय भी कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा शरद पवार के नेतृत्व में पार्टी छोड़कर चला गया था अब वही काम ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस कर रही है।
पार्टी नेताओं में नाराजगी इस बात को लेकर है कि टीएमसी का अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए कांग्रेस में सेंध लगाना उचित नहीं है। सूत्रों की मानें तो अभी कांग्रेस के अन्य कई बड़े नेता ममता बनर्जी के संपर्क में हैं। सूत्र यहां तक दावा करते हैं कि जी23 के कई नेता आने वाले समय में ममता बनर्जी का दामन थाम सकते हैं।
कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को अपने सियासी भविष्य की चिंता है और ऐसे में विचारधारा के स्तर पर उनके पास काग्रेस छोड़कर दूसरी जगह जाने के ज्यादा विकल्प नहीं है इसके अलावा ममता बनर्जी में इन नेताओं को मोदी को कड़ी चुनौती देने की क्षमता भी नजर आ रही है। यही वजह है कि वर्षो तक कांग्रेस के सिपाही रहे कई नेता अब ममता ब्रिगेड का हिस्सा बन गए हैं आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के लिए बीजेपी से ज्यादा बड़ा खतरा बनती जा रही हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस? ममता बनर्जी के इस फैसले से कांग्रेस के कई नेताओं में भी नाराजगी नजर आने लगी है।
ममता के इस मिशन का सबसे ज्यादा अगर किसी पार्टी को नुकसान हो रहा है तो वो है कांग्रेस पार्टी। ममता बनर्जी देशभर में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए एक के बाद एक कांग्रेस के बड़े नेताओं को तोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल करवा रही हैं।
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