सलमान खुर्शीद ने 'सनराइज ओवर अयोध्या' में कहा, अयोध्या पर कोर्ट का फैसला सही

Last Updated 11 Nov 2021 03:59:10 AM IST

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' का विमोचन कर एक नया सियासी विवाद खड़ा कर दिया है।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद

किताब में अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया गया है, मगर हिंदुत्ववादियों की तुलना आईएसआईएस और बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों के 'जिहादी इस्लाम वाली सोच' से की गई है। इस किताब के विमोचन के मौके पर बुधवार को मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम भी मौजूद रहे।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में लिखा है कि "आज के हिंदुत्व का राजनीतिक रूप, एक तरह से साधु-संतों के सनातन और प्राचीन हिंदू धर्म को किनारे लगा रहा है, जो निश्चित तौर पर आईएसआईएस और बोको हरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों जैसा ही प्रतीत होता है।" हालांकि इस किताब में उन्होंने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तारीफ की।

किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या' में सलमान खुर्शीद ने लिखा है कि कांग्रेस में एक ऐसा वर्ग है, जिन्हें इस बात का अफसोस है कि पार्टी की छवि अल्पसंख्यक समर्थक पार्टी की बन गई है। ये लोग नेतृत्व में जनेऊधारी पहचान की वकालत करते हैं। इन लोगों ने अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए यह घोषणा कर दी कि अब इस स्थल पर भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय के संदर्भ सहित जीवन कई खामियों से भरा है, लेकिन एक साथ समायोजन करने की जरूरत है, भले ही कुछ लोग फैसले से सहमत नहीं हैं।



इस मौके पर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जो कुछ भी हुआ, वह बहुत गलत था। इसने हमारे संविधान को बदनाम किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक साल के भीतर सभी को बरी कर दिया गया। जैसे किसी ने जेसिका को नहीं मारा, किसी ने बाबरी मस्जिद को नहीं गिराया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "लोगों ने स्वीकार कर लिया, इसलिए फैसला सही लगा!"

चिदंबरम ने कहा, "यह निष्कर्ष हमें हमेशा के लिए परेशान करेगा कि जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, एपीजे अब्दुल कलाम के इस देश में, खासतौर पर आजादी के 75 साल बाद भी हमें यह कहते हुए शर्म नहीं आती कि किसी ने बाबरी मस्जिद को नहीं तोड़ा।"

उन्होंने कहा कि अयोध्या पर आए फैसले को दोनों पक्षों ने स्वीकार कर लिया, इसलिए यह 'सही फैसला' बन गया।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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