दिल्ली घोषणापत्र में काबुल में खुली व समावेशी सरकार के गठन की अपील

Last Updated 11 Nov 2021 12:12:26 AM IST

भारत, रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने अफगानिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का पनाहगाह नहीं बनने देने का बुधवार को संकल्प लिया।


अफगानिस्तान पर दिल्ली वार्ता के लिए पहुंचे विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ एनएसए अजित डोभाल।

सभी देशों ने काबुल में एक खुली और सही मायने में समावेशी सरकार के गठन की अपील की है। अफगानिस्तान पर भारत की मेजबानी वाली सुरक्षा वार्ता के अंत में आठों देशों के सुरक्षा अधिकारियों ने एक घोषणापत्र जारी किया जिसमें फिर से कहा गया कि अफगानिस्तान के भू-भाग का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को पनाह, प्रशिक्षण और वित्तपोषण करने के लिए नहीं करने देना चाहिए।

अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में युद्ध प्रभावित देश में खराब होती सामाजिक-आर्थिक व मानवीय स्थिति को लेकर चिंता जताई तथा अफगान लोगों को तत्काल मानवीय सहायता उपलब्ध कराने की जरूरत को रेखांकित किया। सुरक्षा अधिकारियों ने यह भी कहा कि मानवीय सहायता निर्बाध, सीधे तौर पर अफगानिस्तान को मुहैया की जानी चाहिए। वार्ता में शामिल होने वाले मध्य एशियाई देशों में कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रमों का न केवल अफगान लोगों के लिए बल्कि क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं।

घोषणापत्र में कहा गया है कि अधिकारियों ने एक बार फिर शांतिपूर्ण, सुरक्षित व स्थिर अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन दोहराया, जबकि संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता तथा उसके अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का सम्मान करने पर जोर दिया। उन्होंने अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति से उभरी अफगान लोगों की समस्याओं को लेकर चिंता प्रकट की तथा कुंदुज, कंधार और काबुल में आतंकी हमलों की निंदा की।

घोषणापत्र में कहा गया है कि अधिकारियों ने हर तरह की आतंकवादी गतिविधियों की निंदा की और आतंकवाद के वित्तपोषण समेत उसके सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ाई जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। घोषणापत्र में आतंकी ढांचों को नष्ट करने तथा कट्टरपंथ की राह पर ले जाने वाली गतिविधियों को रोकने की जरूरत का जिक्र किया गया। अधिकारियों ने क्षेत्र में कट्टरपंथ, चरमपंथ, अलगाववाद और मादक पदाथरे की तस्करी की बुराई के खिलाफ सामूहिक सहयोग की भी अपील की।

घोषणापत्र में कहा गया है कि प्रशासनिक व राजनीतिक ढांचे में समाज के सभी तबके का समावेश देश में राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया की सफलता के लिए जरूरी है। अफगानिस्तान पर संबद्ध संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों को याद कर भागीदार देशों ने इस बात का जिक्र किया कि संयुक्त राष्ट्र को उस देश में एक अहम भूमिका निभानी होगी और उसकी उपस्थिति बनाए रखनी होगी। अधिकारियों ने महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों का हनन नहीं होने देने पर भी जोर दिया। भारत ने चीन और पाकिस्तान को भी आमंत्रित किया था लेकिन दोनों देशों ने भाग नहीं लेने का फैसला किया।

 

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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