उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा : सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा पर ‘पेशेवर’ तरीके से रोक लगाने में विफल रहने के लिए पुलिस को बुधवार को फटकार लगाई।
सुप्रीम कोर्ट |
हालांकि न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून के मुद्दे पर हुई हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। गौरतलब है कि इस हिंसा में अब तक 27 लोगों की मौत हो गई है और लगभग 200 लोग घायल हुए हैं।
शीर्ष अदालत ने ‘हिंसा को उकसाने वालों को’ बचकर निकल जाने की अनुमति देने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों को लताड़ लगाई और कहा कि उन्हें किसी की अनुमति मिलने का इंतजार किए बिना कानून के अनुसार कदम उठाना चाहिए। न्यायालय ने कहा, ‘अगर कोई भड़काऊ बयान देता है, तो पुलिस को कार्रवाई करनी है।’ न्यायालय ने यद्यपि हिंसा से संबंधित आवेदनों पर विचार नहीं किया, लेकिन कहा कि शाहीन बाग में प्रदर्शन से संबंधित मामलों पर सुनवाई के लिए ‘सौहार्दपूर्ण वातावरण’ की जरूरत है। पीठ ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 23 मार्च की तारीख तय करते हुए कहा कि शाहीन बाग मुद्दे पर सुनवाई से पहले उदारता और स्थिति के शांत होने की जरूरत है। पीठ ने वार्ताकारों वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन से कहा कि शाहीन बाग के लोगों को समाधान के लिए आगे आना होगा।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि वह हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर विचार करके शाहीन बाग प्रदर्शनों के संबंध में दायर की गई याचिकाओं का दायरा नहीं बढ़ाएगी। पीठ ने कहा, ‘हम अपने समक्ष प्रस्तुत याचिका के दायरे से बाहर नहीं जाएंगे। कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई हैं। हमारे सामने सवाल है कि क्या असंतुष्ट लोग शाहीन बाग नामक स्थान पर धरने पर बैठ सकते हैं? हम सिर्फ इसी मुद्दे पर सुनवाई करेंगे।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम हिंसा के मुद्दे से संबंधित आवेदनों पर विचार नहीं करने जा रहे हैं। इस मामले पर उच्च न्यायालय को विचार करना है।’’ पीठ ने कहा कि वह किसी को कानून के अनुसार उपचार हासिल करने से रोक नहीं रही है।
| Tweet |