पुलवामा पर सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव भारत की बड़ी राजनयिक जीत

Last Updated 23 Feb 2019 12:08:45 AM IST

पुलवामा हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में लाया गया प्रस्ताव भारत की बड़ी राजनयिक जीत है और इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उत्कृष्ट नेतृत्व और देश का उन पर विश्वास का नतीजा माना जा रहा है।


पुलवामा पर सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाया गया प्रस्ताव यह प्रस्ताव जवानों की शहादत से आहत भारत पर हमले के प्रायोजकों और जिम्मेदार लोगों को माकूल जवाब देने के प्रण का अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्पष्ट समर्थन है।
        
अमेरिका इस भीषण आतंकवादी हमले को लेकर भारत के साथ दृढ़ता से खड़ा रहा और वह तथा भारत के अन्य हितैषी देश इस मसले पर 15-16 फरवरी को ही प्रस्ताव लाये जाने के पक्ष में थे। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस समेत कई महत्वपूर्ण देशों ने पुलवामा आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए भारत के साथ खड़ा होने का भरोसा दिलाया और अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ दो टूक शब्दों में कहा कि वह अपनी जमीन से संचालित आतंकवादी गतिविधियों और आतंकवाद को संरक्षण देना तुरंत बंद करे।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक टेलीविजन चैनल के साथ साक्षात्कार के दौरान कहा कि देश को श्री मोदी के नेतृत्व पर पूरा विश्वास है और उनसे बड़ी उम्मीदें हैं।

सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ,रूस और चीन तथा कुवैत, पेरू ,पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका ,इंडोनेशिया, जर्मनी ,बेल्जियम समेत 10 अस्थायी सदस्यों ने पुलवामा में हुए जघन्य हमले पर सर्वसम्मति से गुरुवार को प्रस्ताव पारित किया और आतंकवाद के घिनौने और वीभत्स कृत्य की कड़ी र्भत्सना की।

उल्लेखनीय है कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के साथ वीटो अधिकार प्राप्त देश है, फिर भी उसने पुलवामा आतंकवादी  हमले पर आए इस प्रस्ताव को नहीं रोका। इस प्रस्ताव की भाषा इस तरह रखी गई है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद, आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और आतंक फैलाने  वालों को कटघरे में खड़ा करने के लिए वैश्विक सहयोग मिल सके और इसमें भारत सफल रहा।
        
सुरक्षा परिषद के सदस्य  देशों ने पुलवामा आतंकवादी हमले के पीड़ति परिवारों के साथ-साथ भारतीय लोगों और भारत सरकार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। सभी ने स्वीकार किया कि सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से  एक है। साथ ही ,इस बात को भी रेखांकित किया गया कि आतंकवादी कृत्यों के आयोजकों, फाइनेंसरों और प्रायोजकों को इसके लिए जिम्मेदार माना जाए और उन्हें कानून के दायरे में खड़ा किया जाए।
       
सुरक्षा परिषद ने दुनिया के सभी सदस्य देशों से अपील की है कि वे अपने सामर्थय के अनुसार भारत सरकार और इस संबंध में अन्य सभी संबंधित अधिकारियों के साथ सक्रिय सहयोग करें। परिषद ने दोहराया कि आतंकवाद का कोई भी कार्य आपराधिक और अन्यायपूर्ण है, चाहे उनकी प्रेरणा कोई भी हो, जब भी और जिस किसी ने भी किया हो, वो अक्षम्य है।
        
संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार भी आतंकवादी कृत्य अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के अंतर्गत भी  अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।



फ्रांस मसूद अजहर को आतंकवादियों की सूची में डालने के लिए शीघ्र ही एक बार और संयुक्त राष्ट्र का रुख करेगा। वर्ष 2016 और 2017 में इस आतंकवादी को काली सूची में डालने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी समिति के पास गया था लेकिन दोनों बार चीन ने वीटो कर दिया। आतंकवाद के मसले पर अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान इस बार भी कथित रूप से चीन के आगे-पीछे घूम रहा है कि कहीं अजहर को आतंकवादी की सूची में न डाल दिया जाये। पाकिस्तान की बात रखने के लिए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी करके यह बताने की कोशिश की कि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को हमले पर ‘फैसला’ नहीं माना जाना चाहिए।

वार्ता
नयी दिल्ली/संयुक्त राष्ट्र


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment