भारत-सऊदी के बीच 5 करार, मोदी बोले- आतंक समर्थक देशों पर मिलकर दबाव बनाएंगे

Last Updated 20 Feb 2019 02:38:58 PM IST

भारत और सऊदी अरब ने आतंकवाद को भावी पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए आज इस बात पर सहमति जतायी कि मानवता विरोधी इस खतरे को बढ़ावा देने वाले देशों पर दबाव बढ़ाने, आतंकवाद का ढांचा ध्वस्त करने और आतंकियों और उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है।


सऊदी अरब के शाहजादे मोहम्मद बिन सलमान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के शाहजादे मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में सहमति जतायी गयी। दोनों देशों ने निवेश, पर्यटन, आवास और सांस्कृतिक और मीडिया आदान प्रदान के पांच करारों पर हस्ताक्षर किये गये।

बैठक के बाद मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अपने सामरिक वातावरण के संदर्भ में, हमने आपसी रक्षा सहयोग को मजबूत करने और उसका विस्तार करने पर भी सफल चर्चा की है। पिछले हफ्ते पुलवामा में हुआ बर्बर आतंकवादी हमला, इस मानवता विरोधी खतरे से दुनिया पर छाए कहर की एक और क्रूर निशानी है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस खतरे से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए हम इस बात पर सहमत हैं कि आतंकवाद को किसी भी प्रकार का समर्थन दे रहे देशों पर सभी संभव दबाव बढ़ाने की आवश्यकता है। आतंकवाद का ढांचा नष्ट करना, इसको समर्थन समाप्त करना और आतंकवादियों और उनके समर्थकों को सजा दिलाना बहुत जरूरी है।’’ 

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘साथ ही अतिवाद के खिलाफ सहयोग और इसके लिए एक मजबूत कार्ययोजना की भी जरूरत है, ताकि हिंसा और आतंक की ताकतें हमारे युवाओं को गुमराह न कर सकें। मुझे खुशी है कि सऊदी अरब और भारत इस बारे में साझा विचार रखते हैं।’’

शाहजादा सलमान ने अपने वक्तव्य में कहा, ‘‘जहां तक आतंकवाद और उग्रवाद का सवाल है। ये हम दोनों देशों के लिए समान रूप से चिंता का कारण है। हम अपने मित्र भारत को बताना चाहेंगे कि हम इस दिशा में हर प्रकार से सहयोग करेंगे, चाहे वह खुफिया सूचनाओं का आदान प्रदान हो या अन्य कदम। हमारी आने वाली पीढ़ी के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हम मिलकर काम करेंगे।’’

भारत और सऊदी अरब के नेताओं के इन बयानों को पाकिस्तान पर बड़े प्रहार के रूप में देखा जा रहा है। इससे पुलवामा हमले के बाद जैश ए मोहम्मद पर कार्रवाई किये जाने को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने की संभावना है।

मोदी ने पश्चिम एशिया और खाड़ी में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने पर बल देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में भारत के 27 लाख लोग रहते हैं। इसलिए यहां शांति और समृद्धि  हमारे दोनों देशों के साझा हित हैं। भारत और सऊदी अरब इस क्षेत्र में हमारे कार्यों में तालमेल लाने और हमारी भागीदारी को तेजी से आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि आतंकवाद निरोधक कार्रवाई, समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में और मजबूत द्विपक्षीय सहयोग दोनों देशों के लिए लाभप्रद रहेंगे।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज हमने द्विपक्षीय संबंधों के सभी विषयों पर व्यापक और सार्थक चर्चा की है। हमने अपने आर्थिक सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का निश्चय किया है। हम अक्षय ऊर्जा के क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए हैं। हम अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ में सऊदी अरब का स्वागत करते हैं। परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग, विशेषरूप से खारे जल को मीठा करने और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के लिए, हमारे सहयोग का एक और आयाम होंगे।’’

उन्होंने यह भी कहा कि हमारे ऊर्जा संबंधों को सामरिक साझेदारी में तब्दील करने का समय आ गया है। दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी और सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व में सऊदी अरब की भागीदारी, हमारे ऊर्जा संबंधों को क्रेता-विक्रेता संबंधों से बहुत आगे ले जाती है।

सऊदी शाहजादे सलमान ने भारत के साथ उनके देश के संबंधों की गर्मजोशी का उल्लेख करते हुए कहा कि सऊदी अरब और भारत के रिश्ते इतिहास से भी पुराने हैं। ये रिश्ते हमारे खून में समाये हैं। बीते 50 साल में इन रिश्तों को और मजबूती प्रदान की गयी है। बहुत सारे अवसर हमारे हित एक ही तरह के हैं। कृषि, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, सामाजिक विकास आदि विषयों पर हम दोनों देश एक रणनीति और कार्य योजना बना सकते हैं।

मोदी की सऊदी अरब की यात्रा को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘साल 2016 में प्रधानमंत्री की यात्रा के बाद बहुत सी कामयाबियां अर्जित हुईं हैं। भारत में सऊदी अरब ने 44 अरब डॉलर का निवेश किया है जबकि यहां 100 अरब डॉलर के निवेश के अवसर हैं। हम चाहते हैं कि ये निवेश दोनों देशों के लिए लाभप्रद हों।’’

वार्ता
नयी दिल्ली


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